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Ukraine संकट पर जयशंकर की दो-टूक, बोले- जो भारत के हित में होगा, वो करेंगे

S Jaishankar on Ukraine Crisis Will do what is right for India

S Jaishankar on Ukraine Crisis: रूस और यूक्रेन युद्ध पर जब भी संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ वोटिंग हुई है भारत इससे अलग हो गया है। ये बात अमेरिका को हजम नहीं हुई, अमेरिका इससे चीढ़ा हुआ था। जो अब भारत को चिढ़ाने के लिए कभी पाकिस्तान को कर्ज दे रहा है तो कभी F-16 लड़ाकू विमान को आधुनिक बनाने के लिए मोटी रकम मुहैया करा रहा है। भारत को चिढ़ाने के लिए अमेरिका पाकिस्तानी (America-Pakistan) आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा तक को अपने यहां बुला कर भव्य स्वागत कर रहा है। इन सबके बीच भारत ने यूक्रेन संकट (S Jaishankar on Ukraine Crisis) को लेकर एक बार फिर से अपनी बात रखी है। भारत ने कड़े शब्दों में कहा कि, हमारे हित में जो होगा वही करेंगे। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन संकट (S Jaishankar on Ukraine Crisis) पर दुनिया को भारत के मन की बात बताते हुए कहा कि, यूक्रेन संकट के समाधान के लिए भारत यथासंभव हर प्रकार की सहुलियत देने को इच्छुक है।

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जपोरिज्जिया में लड़ाई बढ़ने पर भारत रूस पर बना चुका है दबाव
विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर पहली बार न्यूजीलैंड की यात्रा पर हैं। उन्होंने ऑकलैंड बिजनेस चेंबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिमोन ब्रिजेस से लंबी बातचीत की। यहां उन्होंने कहा कि, जब यूक्रेन और रूस के बीच संवेदनशील जपोरिज्जिया में लड़ाई बढ़ गई थी तब भारत ने मॉस्को पर वहां मौजूद परमाणु संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाया था। उन्होंने कहा कि, जब यूक्रेन का मुद्दा आता है तो स्वभाविक है कि अलग-अलग देश और क्षेत्र थोड़ी अलग तरीके से प्रतिक्रिया करेंगे। लोग उसे अपने नजरिये, तात्कालिक हित, ऐतिहासिक अनुभव और अपनी असुरक्षा के संदर्भ में देखते हैं। मेरे लिए विश्व की विविधता प्रत्यक्ष तौर पर है और स्वभाविक है कि इससे अलग-अलग प्रतिक्रिया भी आएगी। मैं अन्य देशों की स्थिति का अनादर नहीं करूंगा क्योंकि उनमें से कई की प्रतिक्रिया खतरे का भाव, उनकी चिंता और यूक्रेन से तुलना के आधार पर है।

भारत के हित में जो होगा, वही करेंगे
इसके आगे उन्होंने कहा कि, इस स्थिति में वह देख रहे हैं कि भारत क्या कर सकता है। जो निश्चित तौर पर भारत के हित में होगा, लेकिन साथ ही विश्व के हित में भी होगा। जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था तो सबसे बड़ी चिंता जपोरिज्जिया परामणु संयंत्र को लेकर थी क्योंकि उसके बहुत करीब लड़ाई चल रही थी। हमसे रूस पर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया, जो हमने किया। अलग-अलग समय पर अलग-अलग चिंताएं भी हैं जिन्हें हमारे समक्ष विभिन्न देशों या संयुक्त राष्ट्र ने उठाया। मैं मानता हूं कि यह वह समय है जब हम जो भी कर सकते हैं, करने को इच्छुक हैं। जपोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र दक्षिण पूर्वी यूक्रेन में स्थित है और यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है।

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वैश्विक व्यवस्था में बदलाव के लिए भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी होना चाहिए
SCO समीट में हुई पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात को लेकर उन्होंने कहा कि, अगर हम अपना रूख तय करते हैं और अपने विचारों को रखते हैं, तो मैं नहीं मानता कि देश उनका अनादर करेंगे, और यह हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन की बैठक में भी दिखा। इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य की दावेदारी पर भी बोलते हुए कहा कि, बड़ी समस्याओं का समाधान केवल एक, दो या यहां तक पांच देश भी नहीं कर सकते हैं। जब हम सुधारों को देखते हैं, तो हमारी रुचि सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में है। यह इच्छा इसलिए भी है क्योंकि हम अलग तरह से सोचते हैं और हम कई देशों के हितों और महत्वकांक्षा को आवाज देते हैं। उन्होंने भेदभावपूर्ण वाली नीतियों को रेखांकित करने के लिए जलवायु परिवर्तन और कोविड महामारी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब हम वैश्विक व्यवस्था में बदलाव को देखते हैं तो हम स्पष्ट है कि भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी होना चाहिए, लेकिन हम मजबूती से यह भी मुद्दा उठाते हैं कि पूरे अफ्रीका महाद्वीप और लातिन अमेरिका का प्रतिनिधित्व नहीं है।उन्होंने न्यूजीलैंड से संबंध के बारे में कहा कि एकसाथ काम करने के अवसर कहीं अधिक वास्तविक और व्यावहारिक है।