पाकिस्तान में एक बड़ा हादसा हुआ है। इस हादसे के से पाकिस्तान के पीएम इमरान खान आईएसआई के ढोल की पोल खुल गई है। हादसा इतना बड़ा शर्मिंदगी वाला है कि पाकिस्तान का कोई भी बड़ा या छोटा मीडिया हाउस टीवी चैनल या अखबार में वारदात को रिपोर्ट नहीं कर पाया है। हालांकि कहा तो यह जा रहा है कि PEMRA ने खबर पर सेंसर लगा दिया है इसलिए खबर कहीं नहीं छपी। अलबत्ता सोशल मीडिया पर यह खबर एक बार चली तो खूब चली है। यहां तक कि डॉन न्यूज जैसा मीडिया हाउस के सोशल मीडिया ने भी झक मार कर शाम पौने छह बजे के बाद खबर को ट्वीट कर दिया है। हालांकि डॉन ने ये स्टोरी अपने किसी रिपोर्टर के हवाले से नहीं बल्कि सीनेटर सरफराज बुगती के हवाले से शेयर की।
पाकिस्तान और इमरान खान के लिए ये खबर बेहद संवेदनशील है। शर्मनाक भी। पाकिस्तान की फौज और सरकार बलूचिस्तान पर पिछले 74 साल से बलात कब्जा किए बैठा है। उसी बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट को पाकिस्तान की सरकार ने चीन के हवाले कर दिया है। ग्वादर पोर्ट सिटी को चारों ओर से ऊंची-ऊंची कंटीली बाड़ से बाकी बलूचिस्तान से अलग कर दिया गया है। इस इलाके में आने वाले किसी भी शख्स को पाकिस्तानी नहीं बल्कि चीनी अफसरों से ठीक उसी तरह से इजाजत लेनी पड़ती है जैसे किसी दूसरे देश में जाने के लिए वीजा लिया जाता है।
देखें- जिन्नाह की मूर्ति को बम से उड़ाए जाने की लाइव कमेंट्री
बहरहाल, पाकिस्तान की सरकार, पाकिस्तान की आर्मी और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को शर्मिंदा करने वाली खबर यह है कि ग्वादर के गवर्नर हाउस से महज 200 मीटर दूर सामने पाकिस्तान के कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्नाह की मूर्ति लगाई गई थी। हालांकि इस्लाम में किसी की मूर्ति लगाना हराम है, और पाकिस्तान खुद इस्लामिक रिपब्लिक है इसलिए इस्लामिक संविधान के मुताबिक तो यह मूर्ति लगाई ही नहीं जानी चाहिए थी, फिर भी जब मूर्ति लगा दी गई तो उसकी हिफाजत सबसे पहले प्राथमिकता होनी चाहिए थी। कहा जाता है कि जिन्नाह की मूर्ति की हिफाजत के ‘माकूल’इंतजाम भी किए गए थे, मगर रविवार (26 सितंबर 2021) की सुबह लगभग साढ़े नौ बजे बम बलास्ट कर जिन्नाह की मूर्ति को उड़ा दिया गया।
बलूच लिब्रेशन आर्मी का पाकिस्तान पर भीषण हमला, दर्जनों फौजी हलाक
जिन्नाह की मूर्ति को बम से उड़ाने का मतलब पाकिस्तान सरकार के अस्तित्व पर हमला है। इतनी बड़ी वारदात के बावजूद पाकिस्तान में सन्नाटा है। पाकिस्तान के काएद-ए-आजम की मूर्ति को उड़ा दिए जाने के बावजूद इमरान खान चुप है। पेमरा ने इस खबर को सेंसर कर दिया है इसलिए किसी अखबार या टीवी चैनल पर खबर नहीं दिखाई जा सकी। दरअसल, पाकिस्तान सरकार, आईएसआई और पेमरा ने जिन्नाह की मूर्ति को बम से उड़ाने की खबर को छुपा कर-दबा कर अपनी नाकामी और नाअहली को छुपाने की कोशिश की है। क्यों कि ये हादसा ग्वादर में हुआ है इसलिए भी इसको छुपाया गया है। ग्वादर में चीनी कंपनियां काम कर रही हैं। चीनी नागरिकों और वर्कर्स पर हमले की वारदातों से चीन पहले ही खफा है। चीन पाकिस्तान की सरकार को कई बार चेतावनी दे चुका है। अब अगर ग्वादर में जिन्नाह की मूर्ति को बम से उड़ाने की खबर चीनी हुक्मरानों के पास पहुंचेगी तो लाजिम है कि इमरान खान को फिर से चीन की लताड़ सुननी पड़ेगी हो सकता है कि चीन कोई प्रोजेक्ट पूरी तरह से बंद ही न कर दे। एक बात और यह भी कि ग्वादर में लगी जिन्नाह की जिस मूर्ति को बम से उड़ाया गया है वो चीनी मैटेरियल से ही बनी थी। इस मूर्ति को चीनी इंजीनियरों और चीनी कामगारों ने ही लगाया था।
ऐसा कहा जा रहा है कि जिन्नाह की मूर्ति को बम से उड़ाने की जिम्मेदारी बलूच लिब्रेशन आर्मी ने ली है। इस सिलसिले में सोशल मीडिया पर एक प्रेस रिलीज भी जारी किया गया है।
This morning, our Sarmachars destroyed with explosives the statue of Muhammad Ali Jinnah, an agent of British imperialism, in Marine Drive, Gwadar. @BeebagrBaloch3 spokesman BRA pic.twitter.com/F3SkHdw2py
— BRA Media (@BRA_Media0) September 26, 2021
अच्छा, सबसे बड़ी बात यह कि इमरान खान और उनके बड़बोले मंत्री शेख रशीद, शाह महमूद कुरैशी और फवाद चौधरी जैसे किसी भी पाकिस्तानी नेता ने ‘जिन्नाह की मूर्ति को बम से उड़ाने के पीछे भारत का हाथ है’ जैसा जुमला अभी तक नहीं छेड़ा है। अलबत्ता एक-आध मीडिया ने भारत की ओर अपरोक्ष और यूएई की ओर सीधा इशारा जरूर किया है।