Hindi News

indianarrative

कट्टरपंथियों और पाकिस्तानी फौजों ने अपने जूते तले कुचल दिया जिन्ना का सपना, भारत से बंटवारे के 75 साल बाद नर्क बन गया Pakistan

कट्टरपंथियों और पाकिस्तानी फौजों ने अपने जूते तले कुचल दिया जिन्ना का सपना

भारत 15 अगस्त को आजादी मनाता है तो ठीक एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को पाकिस्तान अपनी आजादी मनाता है। हालांकि, भारत 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाता है। इस दिन जहां 200 साल की ब्रिटिश गुलामी के भारत आजाद हो रहा था, तो वहीं, देश के दो टुकड़े भी होने जा रहे थे। इसी दिन भारत से पाकिस्तान अलग हुआ। आजादी की कहानी बेहद ही दर्दनाक है। बंटवारे की त्रासदी में कई जिंदगियां तबाह हो गई। किसी को घर टूट गया तो, कई भीड़ में गुम हो गए, कोई मौत की नींद में सो गया तो किसी को जिंदा जला दिया गया। चारो ओर लूट, भय, मार काट का मंजर था। पाकिस्तान से जो ट्रेने आती उसमें वो लासों से भरी होती। पाकिस्तान के लिए तो 14 अगस्त आजादी का इतिहास बना। लेकिन, भारत के लिए ये दिन किसी विभीषिका से कम नहीं रहा। भारत इस दिन को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाता है। दोनों देश आजादी का 75वां साल मना रहे हैं। एक ओर जहां भारत हर एक क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है, विश्व में अपनी अलग छाप छोड़ रहा है, दुनिया जहां भारत की ओर आस से देखने लगी हैं तो वहीं, पाकिस्तान इन 75 वर्षों में नरक बन गया है। पाकिस्तान को नर्क बनाने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद वहां की आर्मी और कट्टरपंथी हैं। यहां तक जिन्ना ने जो सपने देखे थे उसे तक इन कट्टरपंथियों और आर्मी ने रौंद दिया।

एशिया का सिकमैन बन गया है जिन्ना का पाकिस्तान

मोहम्‍मद अली जिन्‍ना की जिद पर धर्म के आधार पर बने पाकिस्‍तान के लिए यही धर्म ही भस्‍मासुर बन गया है। जिन्‍ना ने कराची में पाकिस्‍तान की संविधान सभा में दिए अपने पहले भाषण में कहा था कि देश में जाति और धर्म के भेदभाव के बिना सभी लोगों को समान अधिकार प्राप्‍त होगा। पाकिस्‍तान के कायद-ए-आजम कहे जाने वाले जिन्‍ना का यह सपना का आज मिट्टी में मिल चुका है। पाकिस्‍तान हिंदुओं, ईसाइयों और अहमदिया समुदाय के मुस्लिमों के लिए नरक बन गया है। यहां सेना का राज चल रहा है और लोकतंत्र का गला घोंटा जाता रहा है। हाल यह है कि पाकिस्तान कंगाली के कगार पर खड़ा है उसे कर्ज के लिए भीख मांगना पड़ रहा है। ऐसे में अब जिन्ना के इसी पाकिस्तान को एशिया का सिकमैन कहा जाने लगा है।

1950 के बाद से ही जिन्ना का देखा सपना टूटना शुरू हो गया

हालांकि, जिन्ना का सपना पाकिस्तान के जन्म के साल 1950 के बाद से ही टूटना शुरू हो गया। बंटवारे के बाद पाकिस्तान में हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे, भारी संख्या में हिंदुओं की हत्या कर दी गई और उनके घर जला दिए गए। ये हिंस एक दो दिन नहीं बल्कि 3 मीने तक चली। हालात इतने खराब हो गए कि बड़ी तादाद में हिंदुओं को पाकिस्तान छोड़कर भारत में शरण लेना पड़ा। ये वर्ष 1950 की दास्तां हैं और 2022 में भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का यही हाल ही। पाकिस्तान की मानसिकता अब तक गर्त में दबी हुई है। हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार का सिलसिला आजादी के 75 साल पूरे होने पर भी चलता आ रहा है। यहां अक्सर हिंदू लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है, उन्हें जबर मुस्लिम बनाकर शादी करा दी जाती है। यहां तक कि हिंदुओं के मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी तक आए दिन होते रहते हैं। यहां तक कि, हिंदू इस्लामाबाद में अपनी जमीन पर मंदिर बनाना चाह रहे हैं लेकिन कट्टरपंथी उन्हें तक नहीं बनाने दे रहे हैं।

आजादी के बाद हिंदुओं के बाद पाकिस्तान में अहमदियां मुस्लिमों को निशाना बनाया गया और लाहौर में साल 1953 में हिंसा भड़क उठी। इस दौरान अहमदिया लोगों की बड़ी संख्या में हत्या कर दी गई और उनके घरों को लूटकर उसमें आग लगा दी। आलम यह हो गया कि 3 महीने के लिए लाहौर में मार्शल लॉ लगाना पड़ा। वहां की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।

पाकिस्तान की 1971 में पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश में बर्बरता

साल 1971 में बांग्लादेश तब पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था। यहां खुद पाकिस्तानी सेना ने हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की बड़ी तादाद में हत्या कर दी। बंगाली जनता पर पाक सेना ने जमकर अत्यातार किया। जो सच बोलता उसे जेल में डाल दिया जाता। 30 हजार लोगों को पाकिस्तानी सेना ने रातोंरात हत्या कर दी। इसके बाद जनता ने विद्रोह किया और भारत की मदद से बांग्लादेश का जन्म हुआ। लेकिन, धार्मिक जहर का बीज पाकिस्तान ने जो यहां पर बोया उसका असरा अब तक खत्म नहीं हुआ। यहां भी अब तक हिंदुओं पर हमले होते रहते हैं।

धर्म और जाति के आधार पर पाकिस्‍तान में कोई भेदभाव नहीं होगा- जिन्ना

अपने भाषण में जिन्‍ना ने अल्‍पसंख्‍यकों से कहा था कि, आप स्वतंत्र हैं। पाकिस्तान में आप अपने मंदिरों में जाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं, आप अपनी मस्जिदों या अन्य पूजास्थलों में जाने के लिए स्वतंत्र हैं। धर्म और जाति के आधार पर पाकिस्‍तान में कोई भेदभाव नहीं होगा। देश में सबको नागरिकता के समान अधिकार प्राप्त होंगे। ये जिन्ना का सपना था जिसे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसक घटनाओं ने कुचलकर रख दिया और पाकिस्तान एक कट्टरपंथी इस्लामिक देश बन गया। पाकिस्तान कभी एक सफल लोकतंत्र देश नहीं बन सका। यहां तक की आजादी को सिर्फ 11 ही साल हुए थे कि मेजर जनरल अयूब खान को ने मार्सल लॉ लगा दिया। इसके बाद जनरल याह्या खान, साल 1977 में जनरल जिया उल हक और साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के लोकतंत्र को कुचलकर रख दिया। अब पर्दे के पीछे से सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा शासन चला रहे हैं। नवाज शरीफ और इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने वाले भी वही हैं। यहां तक कि, फिलहाल प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को भी लाने वाले वही हैं।

आतंकवाद की फैक्ट्री है पाकिस्तान

जिन्ना ने पाकिस्तान के विकास का सपना देखा था। हां, यहां विकास तो हुआ लेकिन, सिर्फ आतंकवादियों का। यहां आतकियों की फैक्ट्री लगा दी गई। दुनिया के जितने भी खुंखार आतंकी संगठन हैं वो सारे पाकिस्तान में ही मिल जाएंगे। लश्‍कर-ए-तैयबा, तालिबान, जैश-ए-मोहम्‍मद, अलकायदा जैसे संगठनों के आतंकियों का घर पाकिस्‍तान हैं। ओसामा बिन लादेन को तो पाकिस्‍तानी जमीन पर अमेरिकी सेना ने घुसकर मारा था। पाकिस्‍तान में टीएलपी और टीटीपी जैसे कट्टरपंथी संगठन लगातार अपने आपको मजबूत कर रहे हैं। TTP को पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना चाहता है। हाल यह है कि, कंगला पाकिस्तान चीन से लेकर अमेरिका तक से कर्ज की भीख मांग रहा है। जिसके चलते पाकिस्तान को अब 'दक्षिण एशिया का सिकमैन' बन चुका है।