दुनिया के बड़े से लेकर छोटे देश तक भारत के साथ जुड़ना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से भारत इंटरनेशनल लेवल पर काफी मजबूत हुआ है। हर एक मामलों में भारत को चर्चा में शामिल किया जाता है। यहां तक कि, यूक्रेन-रूस जंग में भी दुनिया भारत के रूख की ओर देख रही है। दुनिया के कई देशों का कहना है कि भारत इस जंग को रुकवाने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ सुपर पावर अमेरिका और ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश भी भारत के साथ अच्छे संबंध बना कर रखना चाहते हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चीन को लेकर बात करेंगे।
दरअसल, इस बार का क्वाड शिख सम्मेलन जापान में होने वाला है और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन 24 मई को जापान के साथ ही दक्षिण कोरिया की द्विपक्षीय यात्रा पर रहेंगे। वाशिंगटन ने संकेत दिया है कि वह यूक्रेन में कभी न खत्म होने वाली उथल-पुथल के बीच इंडो-पैसिफिक को नहीं भूला है। व्हाइट हाउस का बयान यह स्पष्ट करता है कि राष्ट्रपति बाइडेन 12-13 मई को वाशिंगटन में यूएस-आसियान शिखर सम्मेलन के साथ इंडो-पैसिफिक के साथ एक वर्ष से अधिक की गहन कूटनीति का निर्माण करेंगे। अमेरिका का संदेश स्पष्ट है कि उसने चीन को भुला नहीं दिया और यूक्रेन ही अमेरिका का एकमात्र एजेंडा नहीं है।
इस क्वाड शिखर सम्मेलन का एजेंडा अभी तय नहीं हुआ है। अमेरिकी सीनेटर बिल हैगर्टी और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच हुई बातचीत से पता चलता है कि यूक्रेन युद्ध पर जनता के दबाव और मीडिया की धारणा के बावजूद भारत और अमेरिका एक ही पृष्ठ पर हैं। वहीं, ब्लिंकन ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी सीनेटर के दृष्टिकोण को साझा किया कि भारत-अमेरिका के गठबंधन का प्रभाव चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के भविष्य के कदम पर पड़ेगा। ब्लिंकन ने कहा, मुझे लगता है कि भारत-अमेरिका साझेदारी में सबसे महत्वपूर्ण और मूलभूत संबंधों में से एक होने की क्षमता है जो हम अगले दशकों में आगे बढ़ रहे हैं। यह कई प्रशासनों पर एक सफलता की कहानी रही है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के नेतृत्व के साथ सीधे जुड़ने में काफी समय बिताया है। हमने QUAD को सक्रिय किया है जो भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान को एक साथ लाता ह।