आयुष गोयल
अपने पोस्टर युद्ध को जारी रखते हुए खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने अब ब्रिटेन में शीर्ष भारतीय राजनयिकों- उच्चायुक्त विक्रम के दोर्रईस्वामी और काउंसिल जनरल डॉ शशांक विक्रम की तस्वीरों के साथ एक और पोस्टर जारी किया है। इन पोस्टरों का सामने आना कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में शीर्ष भारतीय राजनयिकों को धमकी देने वाले पोस्टरों की अगली कड़ी है।
खालिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा सैन फ़्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास को आग लगाने का एक वीडियो कल सोशल मीडिया पर जारी किया गया था, जिसके बाद बड़ा हंगामा हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे नवीनतम पोस्टर में 8 जुलाई को खालिस्तानियों द्वारा ‘किल इंडिया’ नामक विरोध मार्च का आह्वान भी किया गया है और इसमें आयोजकों के नाम और नंबर हैं। यह रैली प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा बुलायी जा रही है, जिसका सुप्रीमो आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून है,वह कनाडा में प्रमुख नेताओं में से एक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से छिपा हुआ है।
#BREAKING: Khalistani terrorists release threat poster in UK with pictures of top Indian diplomats based in UK including the High Commissioner of India to UK Vikram Doraiswami. Earlier such posters have come out in Canada, Australia and USA threatening top Indian diplomats. pic.twitter.com/WabQ2Qq1ta
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 5, 2023
उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि रैली, पोस्टर और आगज़नी का यह प्रयास पन्नून द्वारा 30 जून को कनाडा में आयोजित एक बैठक में घोषित ‘ऑपरेशन 21’ का हिस्सा है। सूत्रों का यह भी दावा है कि इस बैठक में न सिर्फ़ कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्रांस और न्यूज़ीलैंड समेत कई अलग-अलग देशों में अभियान चलाकर भारत की छवि ख़राब करने का फ़ैसला लिया गया है, बल्कि 21 दूतावासों पर हिंसक प्रदर्शन करने का भी फ़ैसला लिया गया है। दुनिया के विभिन्न देशों में फैले खालिस्तानी समर्थकों को इक्कीस-इक्कीस लोगों का समूह बनाने के लिए कहा गया है, जो यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी आवाज़ ‘दूतावासों के बाहर सुनी जाए’।
आईएसआई और आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) द्वारा समर्थित होने के कारण इस ऑपरेशन को भारतीय क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लगातार कार्रवाई और आंतरिक गिरोह युद्धों के कारण स्पष्ट रूप से उनके नेताओं के ख़ात्मे के बाद प्रासंगिक बने रहने के लिए खालिस्तानियों द्वारा आख़िरी हताश प्रयास के रूप में उद्धृत किया जा रहा है। कट्टरपंथी आंदोलन ने पिछले दो महीनों में तीन प्रमुख नेताओं परमजीत सिंह पंजवार, अवतार सिंह खांडा और हरदीप निज्जर को खो दिया है। जबकि खांडा की ऑन्कोलॉजिकल जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गयी थी, अन्य दो को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी।
इस बीच भारतीय अधिकारियों ने यूके और अमेरिकी समकक्षों से संपर्क किया है और खालिस्तानी समूहों द्वारा बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों के ख़िलाफ़ देश की स्पष्ट निष्क्रियता का हवाला देते हुए एक क़दम उठाकर भारत में कनाडाई उच्चायुक्त को तलब किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जस्टिन ट्रूडो सरकार को चेतावनी दी है कि उनकी ओर से बरती गयी किसी भी तरह की निष्क्रियता से राजनयिक संबंधों में तनाव आ सकता है।
हालांकि, समय बदल गया है और विदेश आधारित आतंक के प्रति भारतीय दृष्टिकोण कहीं अधिक सक्रिय है, फिर भी कुछ पूर्व राजनयिक 1984 के ‘म्हात्रे क्षण’ का हवाला देते हैं। रविंदर म्हात्रे ब्रिटेन में 48 वर्षीय भारतीय राजनयिक थे, जिनकी कश्मीरी अलगाववादियों ने हत्या कर दी थी। यह आरोप लगाया गया था कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद बर्मिंघम पुलिस ने अलगाववादियों द्वारा उनके अपहरण की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया था और 48 घंटे बाद उनका शव मिला था, उनके सिर और शरीर में दो गोलियां लगी थीं। “इंदिरा गांधी मामले को लेकर चले आंदोलन पर कनाडा की प्रतिक्रिया और ये पोस्टर हम सभी को 1984 में ब्रिटेन पुलिस की प्रतिक्रिया की याद दिलाते हैं। एक पूर्व राजनयिक ने कहा है, ”देश को इस साल के दौरान कई बार भारत द्वारा जताये गये किसी भी तरह के ख़तरे के प्रति सचेत होने की ज़रूरत है।”