फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन से भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Jets) की डिलीवरी पूरी हो चुकी है। राफेल लड़ाकू काफी ताकतवर है और ये कई तरह के मिशन को अंजाम देने में समर्थ है। भारतीय वायुसेना में राफेल के शामिल होने के बाद इसकी ताकत कई गुना बढ़ गई है। आज दुनियाभर के कई देश राफेल का इस्तेमाल कर रहे हैं और कई देश इसे खरीदना चाहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब दसॉल्ट ने जब राफेल को बनाया था, उसके बाद 28 साल तक किसी विदेशी देश ने इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। हालांकि, 2014 के बाद अचानक ही इसको खरीदने की होड़ मच गई। राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) ने साल 2011 के लीबिया युद्ध के बाद सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। उस दौरान राफेल का इस्तेमाल लीबिया, अफगानिस्तान, इराक, माली और सीरिया के युद्ध में किया गया है, जहां राफेल ने अपने प्रदर्शन से खुद को साबित किया और फिर दुनियाभर के देशों के बीच इसे खरीदने की होड़ मच गई।
कौन बना था पहला ग्राहक ?
लीबिया के युद्ध में राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) का कमाल देखने के बाद मिस्र पहला ग्राहक बना था और नवंबर 2014 में 24 से 36 राफेल खरीदने के लिए फ्रांस के साथ बातचीत शुरू की थी। हालांकि, अगस्त 2015 में मिस्र और फ्रांस के बीच राफेल डील पर औपचारिक मुहर लगी। इस दौरान मिस्र ने 24 राफेल खरीदने का ऑर्डर दिया था, जिसमें 16 टू-सीटर और 8 सिंगर सीटर मॉडल शामिल थे। इसके बाद जुलाई 2015 में मिस्र को राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी शुरू की गई।
भारत ने कब खरीदा Rafale ?
भारत ने साल 2012 में 126 राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) खरीदने की योजना बनाई थी और प्रस्ताव दिया गया था कि साल 2015 तक इंडियन एयरफोर्स को फ्लाई-अवे स्थिति में 18 राफेल की आपूर्ति की जाएगी। इसके साथ ही अन्य 108 राफेल का निर्माण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट के तहत भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में होगा। उस समय इस डील की कीमत 20 बिलियन डॉलर आंकी गई थी, लेकिन फ्रांस ने स्थानीय उत्पादन पर असहमति जताई और दसॉल्ट ने 108 एचएएल निर्मित राफेल के लिए जिम्मेदारी से इनकार कर दिया। इसके बाद साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस डील पर फिर से बाद शुरू हुई और 36 राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jets) की खरीद का समझौता किया गया। इस डील में राफेल लड़ाकू विमान में भारत के हिसाब से कई अपग्रेडेशन करने को लेकर दसॉल्ट ने ऑफर दिया था। बता दें कि भारत को पिछले साल जुलाई तक सभी 36 राफेल की डिलीवरी पूरी हो चुकी है।
कितना ताक़तवर है Rafale Fighter Jets?
राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) कैनार्ड डेल्टा विंग, ट्विन इंजन, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है। राफेल की खासियत है कि इसे हथियारों की एक विस्तृत सीरीज से लैस किया जा सकता है। राफेल एक कॉम्बेट प्रूवन एयरक्राफ्ट है और अपने समय के बाकी लड़ाकू विमान से अलग है।
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