पहले के भारत और अब के भारत में बड़ा फर्क आ गया है। आज दुनिया भारत के साथ जुड़ना चाहती है। हर एक क्षेत्र में भारत संग जुड़कर अपने रिश्तों को मजबुत करना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुनिया में कितनी पुछ है इसका अंदाजा इसी से लगा लें कि, इस वक्त यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग को रुकवाने के लिए दुनिया भारत की ओर ताक रही है। भारत और रूस के संबंध काफी गहरे में है, ऐसे में इस जंग को रुकवाने में भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है। साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, जापान के अलावा दुनिया के कई बड़े देश पीएम मोदी संग चर्चा करने का मौका नहीं छड़ते। इस बीच एक देश के प्रधानमंक्षी ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है और भारत को दुनिया की फार्मेसी बताया है।
दरअसल, भारत की 8 दिवसीय यात्रा पर आए मॉरीशस के पीएम प्रविंद जगन्नाथ ने भारत को दुनिया का फार्मेसी बताया है। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान आयुर्वेदिक दवाएं भेजने के लिए भारत का आभार व्यक्त किया। उन्होंने आगे बताया कि मॉरीशस में आयुष की प्रथा लोकप्रिय है। हमने इस धारणा को अपनाया है कि पारंपरिक दवाएं आधुनिक दवाओं का पूरक हैं। गांधीनगर में वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मॉरीशस के पीएम जगन्नाथ ने कहा है कि आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य और सम्मान की बात है। भारत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के लिए पहली बार वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन-ग्लोबल सेंटर की मेजबानी करके पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों से उत्पन्न होने वाली चिकित्सा की अपनी आधिकारिक मान्यता का प्रदर्शन कर रहा है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, पारंपरिक चिकिस्ता दुनिया भर के समुदायों में सदियों से स्वास्थ्य के लिए एक अभिन्न संसाधन रही है। पारंपरिक पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा का इस्तेमाल विशेष रूप से वहां व्यापक है जहां पारंपरिक दवाओं तक पहुंच सीमित है। सामाजिक-सांस्कृतिक अभ्यास और जैव विविधता और पारंपरिक चिकित्सा की विरासत समावेशी, विविध सतत विकास को विकसित करने के लिए अमूल्य संसाधन हैं।
इसके साध ही भारत संग मॉरीशस के संबंधों के बारे में बात करते हुए कहा कि, मॉरीशस और भारत समान पैतृक मूल्यों को साझा करते हैं और आयुष की प्रथा परंपराओं का एक अभिन्न अंग है। इसके अलावा मॉरीशस में आयुष की प्रथा लोकप्रिय है और पूरी तरह से विज्ञान और परंपरा के अच्छे मिश्रण के रूप में और वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। आयुर्वेद की प्रथा हमारे इतिहास में निहित है। यह प्रथा हर दिन खिल रही है और अधिक जीवंत हो रही है।