अतुल अनेजा
तमाम तरफ़ से हताश हो चुके पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अब लगभग 12,000 अमीर अमेरिकियों के अपने विदेशी आधार से लेकर सेना के साथ अदद बातचीत तक के बाहरी समर्थन की तलाश कर रहे हैं।
देश के भीतर उनकी स्थिति दयनीय बनी हुई है। सोमवार के बाद तो स्थिति और ख़राब हो गयी है, क्योंकि इस दिन सेनाध्यक्ष (COAS), जनरल असीम मुनीर ने प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात की थी।
Chief of Army Staff (COAS) Gen Syed Asim Munir on Monday called on Prime Minister Shehbaz Sharif. In their meeting, the premier and the army chief discussed the national security situation and professional capabilities of the armed forces. pic.twitter.com/HQHEIWih8I
— Economy.pk (@pk_economy) June 12, 2023
उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि सीओएएस मुनीर ने ज़ोर देकर कहा कि पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सत्तारूढ़ गठबंधन को टाल-मटोल की रणनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें 9 मई के हमलों के मास्टरमाइंडों को पकड़ने के लिए ठोस उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
ज़ाहिरा तौर पर सेना प्रमुख ने 4 जून के गठन कमांडरों की बैठक के बाद दिए गए एक बयान में अपनी स्थिति को मज़बूत किया कि लाहौर कोर कमांडर का आवास और जिन्ना हाउस सहित प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों पर 9 मई के हमलों में शामिल योजनाकारों, भड़काने वालों, उकसाने वालों और अपराधियों पर कोई दया नहीं दिखाई जायेगी। । सेना ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जिन लोगों ने हमलों की परिकल्पना की थी, उन पर पाकिस्तानी सेना अधिनियम 1952 और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जायेगा। यह स्पष्ट हो गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री ख़ान 9 मई के विद्रोह के पीछे संदिग्धों की प्राथमिक सूची में हैं, लेकिन वे अकेले नहीं हैं।
जनरल मुनीर के प्रधानमंत्री शरीफ़ से अप्रत्याशित मुलाक़ात के तुरंत बाद, पाकिस्तान नेशनल असेंबली ने 9 मई के दंगाइयों के परीक्षण के लिए एक प्रस्ताव पारित किया।यह सेना की मांग को वैधता प्रदान करने वाला एक स्पष्ट क़दम है। इसने ज़ोर देकर कहा कि जिन लोगों ने सैन्य और राज्य के प्रतिष्ठानों पर हमलों को अंजाम दिया था, उन पर पाकिस्तान सेना अधिनियम, 1952 के तहत “बिना किसी देरी के” मुकदमा चलाया जाना चाहिए। ख़ान और उनके जैसे लोगों के प्रति सहानुभूति का कोई मतलब नहीं होगा।
ख़ान पर हमला करते हुए इस प्रस्ताव में कहा गया कि “एक राजनीतिक दल और उसके अध्यक्ष” ने 9 मई को क़ानून और संविधान को तोड़ा और सैन्य प्रतिष्ठानों पर “सामूहिक” हमले किए।
The National Assembly on Monday adopted a resolution demanding speedy action against the May 9 rioters under the #ArmyAct. The resolution was presented by Defence Minister #KhawajaAsif, demanding that action be taken against the perpetrators of May 9 events under Army Act. pic.twitter.com/0oR6ksx0UC
— Vishal Sehgal (@VishalSehgal4U) June 13, 2023
“इस पार्टी और उसके प्रमुख के कार्यों से राज्य के संस्थानों को नुक़सान हुआ है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है और इसके सबूत मौजूद हैं। इसलिए, बिना एक दिन की देरी के उनके ख़िलाफ़ क़ानून और संविधान के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।”
इसमें आगे कहा गया कि “दंगाइयों के ख़िलाफ़ जांच में किसी भी मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया”। ख़ान की पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) पार्टी के एक स्पष्ट संदर्भ में कहा गया है कि “एक राजनीतिक दल इस संबंध में दुष्प्रचार कर रहा था और झूठे आरोप लगा रहा था”। शब्दांकन पाकिस्तान और विदेशों में हाइब्रिड नागरिक-सैन्य प्रतिष्ठान के ख़िलाफ़ मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों का जवाब है।
अब यह स्पष्ट हो गया है कि ख़ान के अलावा, जिन्हें देर-सवेर गिरफ़्तारी का सामना करना पड़ सकता है, सेना हमले के लिए ज़िम्मेदार अन्य प्रमुख साज़िश करने वालों की तलाश कर रही है। इंडिया नैरेटिव को पता चला है कि इन नामों में मुराद सईद, हम्माद अज़हर, असलम इक़बाल और अहसान नियाज़ी शामिल हैं।
सईद का नाम उस प्राथमिकी में शामिल है, जिसमें लाहौर के छावनी क्षेत्र में जिन्ना हाउस पर हमले में शामिल पीटीआई नेताओं को सूचीबद्ध किया गया था। सईद, ख़ान का सबसे भरोसेमंद विश्वासपात्र माने जाते है। अनुमान लगाया जा रहा है कि वह अफ़ग़ानिस्तान, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा या गिलगित बाल्टिस्तान में हो सकता है।
पंजाब के पूर्व प्रांतीय मंत्री असलम इक़बाल अब तक कई छापेमारी के बावजूद गिरफ़्तारी से बचते रहे हैं। पाकिस्तानी दैनिक डॉन की रिपोर्ट है कि पुलिस ने कथित तौर पर बुधवार को उनके भतीजे को गिरफ़्तार कर लिया है। पूर्व मंत्री नौ मई को जिन्ना हाउस हमले में भी वांछित हैं।
अहसान नियाज़ी, इमरान ख़ान का भतीजा भी भूमिगत है, और माना जाता है कि वह लाहौर में शौक़त ख़ानम अस्पताल और दुनिया न्यूज़ के मालिक आमिर महमूद के घर में छिपा हुआ है।
On 9 May, Murad Saeed told this to the party leaders through his tweets and directed to start demonstrations at the mentioned places. pic.twitter.com/cNFcr726iR
— Tayyaba (@Tayyaba_live) June 8, 2023
बहुत कम गुंज़ाइश के बीच खान वस्तुतः जनरल मुनीर के साथ बातचीत के लिए मिन्नत कर रहे हैं,उनका यह रुख़ उनके पहले के उस रुख़ से एकदम अलग है,जिसमें उनका कहना था कि “कोई संवाद नहीं” और निवर्तमान सेना प्रमुख के साथ-साथ जावेद बाजवा, जनरल मुनीर के पूर्ववर्ती जनरल क़मर सहित सेना के शीर्ष अधिकारियों पर सामने से हमला करने वाले ख़ान का यह एकदम से नया रुख़ है।
असलम में पूर्व प्रधानमंत्री ने जनरल मुनीर को उनके आधिकारिक नाम के बजाय “इस आदमी (यह आदमी)” कहा था। जनरल बाजवा पर ख़ान के हमले और भी तीखे तब हुए थे,जब उन्होंने पूर्व सीओएएस को उनकी पीठ में छुरा घोंपने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था।
लेकिन, 9 मई की घटनाओं के बाद एक सौदा करने को लेकर गंभीर ख़ान ने पहले भी सात सदस्यीय वार्ता समिति का गठन किया था, जिसमें पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद क़ुरैशी और पूर्व मंत्री मुराद सईद के साथ-साथ हम्माद अज़हर भी शामिल थे। लेकिन, पीटीआई कैंप से पलायन और समझौते के बजाय सेना के निर्णय के कारण यह पहल स्थायी रहेगी,ऐसी उम्मीद है।