Hindi News

indianarrative

नॉर्वे के हाथ लगा खजाना, बाहर निकाल लिया तो दुनिया की बदल जाएगी किस्मत

Norway Treasure: नॉर्वे में हाई ग्रेड फॉस्‍फेट का विशाल भंडार मिला है। संसाधनों का दोहन करने वाली एक कंपनी ने इस बात की जानकारी दी है। इस कंपनी का दावा है कि इतने फॉस्‍फेट से दुनिया की अगली 100 साल की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। फॉस्‍फेट का प्रयोग सोलर पैनलों और इलेक्ट्रिक कार बैटरी में होता है। नॉर्वे में मिला यह खजाना दुनिया की मांग को पूरा करने के लिए काफी बड़ा है। फॉस्फेट, उर्वरक उद्योग के लिए फॉस्फोरस के उत्पादन में उपयोग किया जाने वाला एक आवश्यक तत्व है। इसे काफी जरूरी रॉ मटेरियल एक्ट के लिए यूरोपियन कमीशन के मार्च प्रस्ताव में शामिल किया गया था।

नॉर्वे में मिले भंडार (Norway Treasure) कम से कम 70 बिलियन टन होने का अनुमान जताया गया है। साल 2021 में यूएस जियोलॉजिक सर्वे की तरफ से एक अनुमान लगाया गया था जिसमें 71 अरब टन का भंडार होने की बात कही गई थी। दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा फॉस्फेट रॉक भंडार यानी 50 बिलियन टन मोरक्को के पश्चिमी सहारा क्षेत्र में स्थित है। अमेरिका के अनुमान के मुताबिक अगले सबसे बड़े भंडार चीन 3.2 अरब टन, मिस्र 2.8 अरब टन और अल्जीरिया 2.2 अरब टन, में स्थित हैं।

100 साल तक दुनिया को होगा फायदा

नॉर्वे में इस खजाने (Norway Treasure) की खोज नॉर्ज माइनिंग कंपनी की तरफ से हुई है। कंपनी के मालिक और संस्‍थापक माइकल वुर्मसर ने कहा, ‘अब, जब आपको यूरोप में इतनी बड़ी चीज मिलती है जो हमारे सभी ज्ञात स्रोतों से बड़ी है, तो यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।’ वहीं यूरोपियन यूनियन (ईयू) का कहना है कि यह तलाश निश्चित तौर पर ईयू के भविष्‍य के लिए काफी अच्‍छी है। ईयू के प्रवक्‍ता की तरफ से कहा गया है कि फॉस्‍फेट का यह भंडार क्रिटिकल रॉय मैटेरियल एक्‍ट के मकसद को पूरा करने में सहायक होगा।

यह भी पढ़ें: Norway के सागर की गहराई में खजाना मिलने से हड़कंप, बाहर निकाल लिया तो दुनिया…

विश्‍व में जितने भी फॉस्‍फेट का खनन किया जाता है उसका करीब 90 फीसदी कृषि में उर्वरक उद्योग के लिए प्रयोग होता है। इसे फास्‍फोरस के तौर पर प्रयोग किया जाता है जिसके लिए फिलहाल कोई विकल्‍प नहीं है। फॉस्फोरस को इलेक्ट्रिक कारों के लिए सोलर पैनल्‍स और लिथियम-आयरन-फॉस्फेट बैटरी (एलएफपी) के साथ-साथ सेमीकंडक्‍टर्स और कंप्यूटर चिप्स के उत्पादन में भी किया जाता है लेकिन इसकी मात्रा कम होती है। यूरोप को दुनिया के पावर हाउस के तौर बरकरार रखने के लिए इन सभी उत्पादों को यूरोपियन यूनियन द्वारा ‘रणनीतिक महत्व’ के तौर पर बताया गया है।