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अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन पर हमला हो! युद्ध और भीषण करने के लिए रूस को भड़का रहा

युद्ध और भीषण करने के लिए रूस को भड़का रहा अमेरिका

यूक्रेन हमले पर सबसे बड़ा कारण पश्चिमी देश रहा है। खासकर अमेरिका और नाटो का इसमें सबसे बड़ा हाथ रहा है। यूक्रेन में अपनी पकड़ मजबूत बना कर अमेरिका, रूस को काबू में करना चाहता था। यूक्रेन में नाटो सेना और वो रूस को भड़काते। रूस जैसे ही हमला करता वैसे ही पूरी नाटो देश मिलकर उसे खत्म कर देते। पुतिन इसी के खिलाफ थे कि, यूक्रेन कभी भी नाटो में न शामिल हो। इस जंग में अगर किसी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है तो वो है अमेरिका। क्योंकि, अमेरिका यही चाहता था कि यूक्रेन पर रूस हमला करे और वो उसपर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दे और उसको आर्थिक रूप से कमजोर कर दे। अब जब युद्ध समाप्त होने पर बात हो रही है तो अमेरिका को यह हजम नहीं हो रहा है और वो अब भड़काने वाला काम शुरू कर दिया है।

तुर्की में यूक्रेन संग आमने-सामने हुई बातचीत के बाद रूस ने कीव से सेना कम करने के लिए राजी हो गया है। इसी पर अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठान पेंटागन भड़काते हुए कहा रहा है कि, रूस मूर्ख बना रहा है। वह कीव में सेना घटाने की आड़ में व्यूह रचना में बदलाव कर रहा है। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने मंगलवार को रूस के एलान के बाद कहा कि रूस अब यूक्रेन के अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा और कीव पर भी हमले पूरी तरह बंद नहीं करेगा। गत दिवस युद्धरत यूक्रेन व रूस के बीच तुर्की के इस्तांबुल में वार्ता का नया दौर हुआ था। इसमें रूस ने कीव से अपनी फौज कम करने पर रजामंदी दी है, लेकिन हफ्तों से जारी जंग के बीच रूस के रवैये में नरमी को अमेरिका सुखद बदलाव नहीं मान रहा है।

पेंटागन का कहना है कि यह सेना की वास्तविक वापसी न होकर तैनाती में रणनीतिक परिवर्तन है। हमें अब यूक्रेन के अन्य इलाकों में बड़े हमलों के लिए तैयार रहना चाहिए। कीव से सेना कम करने या हटाने का मतलब यह नहीं समझना चाहिए कि कीव पर खतरा खत्म हो गया है। इसके आगे जॉन किर्बी ने भड़काते हुए कहा कि, रूस कीव व यूक्रेन पर कब्जे की अपनी रणनीति में विफल हो गया है, लेकिन अब भी वो कीव पर हमले कर सकता है, क्योंकि जंग जारी है।