पाकिस्तान (pakistan) को एक ऐसी सोच के साथ बनाया गया था कि यहां मुस्लिम रहेंगे। लेकिन पाकिस्तान का अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय लगातार हमलों का शिकार हो रहा है। अहमदियों का कहना है कि लगातार उनके प्रार्थना स्थलों और कब्रिस्तानों को हमलों का निशाना बनाया जा रहा है। ये सारे हमले सुनियोजित ढंग से किए जा रहे हैं। समुदाय के प्रवक्ता अमीर महमूद ने मंगलवार को कहा कि हमलों में लगातार वृद्धि हुई है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक महमूद ने कहा कि पिछले हफ्ते पंजाब के दस्का शहर में कम से कम 74 कब्रों को तोड़ दिया गया। वहीं लाहौर के करीब अहमदियों के प्रार्थना स्थल की मीनारों को तोड़ दिया गया। उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर मीनारों को तोड़ने का आरोप लगाया।
खुद को मुस्लिम बताते हैं अहमदिया
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोग 5 लाख की संख्या में हैं। अहमदी एक धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। यह खुद को मुस्लिम मानते हैं। लेकिन पाकिस्तान ने संविधान संशोधन के जरिए इन्हें गैर मुस्लिम घोषित किया था। बाद में सैनिक तानाशाह जिया उल-हक ने अहमदियों को खुद को मुस्लिम बताने से रोक दिया था। इसके साथ उनके ऊपर इस्लामी आस्था के प्रतीकों को सार्वजनिक रूप से दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया। जैसे वह अपने प्रार्थना स्थलों पर मीनार नहीं बना सकते।
जनवरी से 34 हमले हुए
पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स कमीनशन ने कहा कि जनवरी से 34 हमले पाकिस्तान में हुए हैं। वही अहमदियों की ओर से इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2022 से कम से कम तीन लोगों को आस्था के कारण मारा गया। जबकि 108 लोगों पर धार्मिक मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि पिछले साल कम से कम 14 प्रार्थनास्थलों और 197 कब्रों को नष्ट किया गया। एक शख्स ने कहा कि डास्का में उसके पूर्वज आजादी से पहले रहते हैं। तब यहां दो लाख लोग थे। लेकिन अब सिर्फ 200 घर बचे हैं।