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PM Modi से बात करने की जिद्द पर अड़े पाकिस्तान सेना के जनरल बाजवा, देख Imran Khan के उड़े तोते

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आतंकवाद के कारण पाकिस्तान और भारत के रिश्ते में खटास है। पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ आतंक को पैदा करते आया है। नतीजा दोनों ही देशों के बीच विवाद है। पाकिस्तान दिखावे के लिए इस विवाद को सुलझाने के लिए भारत संग बातचीत का राग अलापता आया है। वही पीठ पीछे भारत की सीमा में आतंकियों को हथियार देकर हमले के लिए भेजता है। पहले इमरान खान भारत संग बातचीत करने की जिद्द करते थे और अब पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी भारत के साथ सभी विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत का आह्वान कर रहे है।

बाजवा ने भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की वकालत इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता को संबोधित करते हुए की। गौरतलब यह है कि इस सुरक्षा वार्ता का उद्घाटन इमरान खान ने किया था। सम्मेलन में 'व्यापक सुरक्षा : अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की पुनर्कल्पना' पर अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में उभरती चुनौतियों पर चर्चा की गई। इस सम्मेलन में पाकिस्तानी और अंतर्राष्ट्रीय नीति विशेषज्ञ शामिल हुए। इस्लामाबाद सुरक्षा संवाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, रूस, यूरोपीय संघ, जापान, फिलीपींस और अन्य 17 अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं की मेजबानी कर रहा है।

दूसरी सुरक्षा वार्ता आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग के प्रयासों को स्वीकार करते हुए, सीओएएस जनरल बाजवा ने कहा, 'मेरा मानना है कि आज पहले से कहीं अधिक हमें बौद्धिक बहस के लिए ऐसे स्थानों को विकसित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है जहां दुनिया भर के लोग बड़े पैमाने पर अपने देश और दुनिया के भविष्य के बारे में उनके विचार साझा करने के लिए एक साथ आते हैं।' उन्होंने कहा कि इस तरह के स्थान विशेष महत्व रखते हैं जहां महान व्यक्ति टकराव के बजाय वैश्विक सहयोग की आवश्यकता की पहचान कर सकते हैं।

दुनिया भर में सामना की जा रही अभूतपूर्व चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि गरीबी, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, साइबर घुसपैठ और संसाधनों की कमी की साझा वैश्विक चुनौतियों के बीच अंतर-राज्य संघर्षो का पुनरुत्थान अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के लिए बड़ा प्रश्न है। उन्होंने कहा- 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक सुरक्षा वैश्विक समृद्धि के हमारे साझा लक्ष्यों को बाहरी दबावों का विरोध करने वाली एक समान अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में एकीकृत करने की हमारी क्षमता पर टिकी हुई है।'