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बलूच विद्रोहियों ने चीन-पाकिस्तान के छुड़ाए छक्के, ग्‍वादर छोड़कर भाग रहा ड्रेगन, देखें रिपोर्ट

बलूच विद्रोहियों ने चीन-पाकिस्तान को खदेड़ा

बलूचिस्‍तान में पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह भड़का हुआ है। वहां के आम लोग लगातार चीन के निर्माण कार्य का विरोध कर रहे हैं। सीपीईसी परियाजना का बलूचिस्‍तान एक अहम हिस्सा है। चीन पहले ग्‍वादर में  चाइना-पाकिस्‍तान आर्थिक कॉरिडोर का केंद्र बनाने जा रहा था, लेकिन हमले के डर से अब चीन और पाकिस्‍तान ने बलूचिस्‍तान छोड़ने का मन बना लिया है। दोनों देश के बीच कराची बंदरगाह को विकसित करने की योजना पर हाल ही में हस्‍ताक्षर हुआ है। कराची शहर सिंध प्रांत की राजधानी और पाकिस्‍तान के आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है।

जापानी अखबार निक्‍केई के मुताबिक पाकिस्‍तान की ओर से जारी सूचना के मुताबिक चीन करीब साढ़े तीन अरब डॉलर इस परियोजना पर खर्च करेगा। चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्‍ता ने इस खबर की पुष्टि भी की है। इस परियोजना के तहत कराची पोर्ट का विस्‍तार, मछली पकड़ने के लिए एक अन्‍य बंदरगाह का निर्माण और 640 हेक्‍टेयर के इलाके में व्‍यापारिक जोन की स्‍थापना करना शामिल है। इसमें एक पुल भी बनाया जाएगा जो कराची बंदरगाह को मनोरा द्वीप समूह से जोड़ेगा।

दरअसल, चीन के लिए ग्‍वादर बंदरगाह बड़ा संकट बन गया था जो बलूचिस्‍तान प्रांत में स्थित है। चीनी नागरिकों और उसके निवेश पर लगातार बलूच विद्रोही हमले कर रहे थे। अभी अगस्‍त महीने में इसी इलाके में एक चीनी वाहन को निशाना बनाकर आत्‍मघाती हमला किया गया था। इसमें दो बच्‍चों की मौत हो गई थी और 3 अन्‍य घायल हो गए थे। ग्‍वादर के आसपास बलूचों का विरोधी पिछले काफी लंबे समय से जारी है। चीन ही नहीं सऊदी अरब भी अब ग्‍वादर से अपने तेल रिफाइनरी प्रॉजेक्‍ट को कराची ले जा रहा है। सऊदी अरब 10 अरब डॉलर के निवेश से कराची में तेल रिफाइनरी लगा रहा है। इससे पाकिस्‍तान सरकार को बड़ा झटका लगा था जो ग्‍वादर को ऊर्जा हब के रूप में विकसित करना चाहती थी। अब ग्‍वादर से चीन भी अपने प्रॉजेक्‍ट को कराची ले जा रहा है। कराची का बंदरगाह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा पोर्ट है।