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मोदी का ‘अमेरिका प्लान’ देख कंगाल Pakistan में मच गया हड़कंप, बोले-कहां भारत, कहां हम

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गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान (pakistan) को अब यह साफ दिख रहा है कि आने वाले दिनों में उसके लिए हालात और भी मुश्किल होने वाले हैं। उधर अमेरिका के साथ भारत की दोस्ती को पाकिस्तान पचा नहीं पा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। वहीं शहबाज शरीफ के मंत्री ने भारत-अमेरिका की दोस्ती पर बयान दिया। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बड़ी ही लाचारी से कहा कि अमेरिका द्वारा भारत के साथ संबंधों को गहरा करने से इस्लामाबाद को कोई समस्या नहीं है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने अपना अलग राग अलापते हुए भारत और अमेरिका संबंध पर कहा कि बशर्ते इससे पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि पाकिस्तान की यह टिप्पणी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्योते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 20 जून की आधिकारिक अमेरिका यात्रा से पहले आई है। इस यात्रा के दौरान अमेरिका और भारत के बीच स्वास्थ्य, तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा, शिक्षा और रक्षा… इन पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा होगी।

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क्या बोले पाकिस्तानी रक्षा मंत्री

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने भारत की तरफ से अमेरिका के साथ संबंधों को प्रगाढ़ किए जाने के संबंध में सवाल का जवाब देते हुए यह बातें कहीं। उनका इस संबंध में साक्षात्कार शनिवार को ‘न्यूज वीक’ में प्रकाशित हुआ है। आसिफ ने कहा, मुझे लगता है कि अमेरिका के भारत के साथ साझेदारी बढ़ाने से हमें कोई दिक्कत नहीं है, अगर इससे पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है तो। हमारी चीन के साथ साझा सीमा है, हमारी अफगानिस्तान, ईरान, भारत के साथ साझा सीमा है। अगर संबंध अच्छे नहीं हैं तो, हम उनके साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहेंगे। हम शांति से जीना चाहते हैं। अगर शांति नहीं है तो हम कभी भी अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर नहीं बना सकते हैं।

पाकिस्तान मानता है अपनी कमजोरी

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (Khawaja Muhammad Asif) ने कहा कि भारत 1.3 बिलियन से अधिक लोगों का एक बहुत बड़ा बाजार है। दुनिया में हर जगह, अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएं उन्हें भागीदार बनाना चाहती हैं। लेकिन पाकिस्तान बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं है। यह एक कमजोर अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ऐसी स्थिति में नहीं धकेला जाना चाहिए जहां उन्हें कुछ बहुत कठिन विकल्प चुनने पड़ें।