pakistan economic crisis: पाकिस्तान (Pakistan) आज जिस हाल में है वो उसका खुद का बनाया हुआ है। मुल्क जल्द ही डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्तान के पास खाने के लाले पड़े हुए हैं। उसके कई बड़े उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। खासकर टेक्स्टाइल इंडस्ट्री कुछ ही दिनों में बंद हो सकती है। इसके साथ ही अन्य कई क्षेत्रों का भी यही हाल है। अब जिन्ना का देश महाकंगाल हो गया है। क्योंकि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार गिरते-गिरते अब पाताल तक पहुंच गया है। जनता महंगाई और टैक्स के बोझ तले दबी हुई है और सरकार उसे लगातार बढ़ाती जा रही है। IMF की तरफ से भी झटका मिलने के बाद पाकिस्तान अब अपने पुराने सहयोगियों की तरफ देख रहा है। पाकिस्तान ने 100 अरब डॉलर के कुल विदेशी कर्ज में 30 फीसदी अकेले सिर्फ चीन से लिया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी पिछले हफ्ते म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के मौके पर अपने सऊदी समकक्ष और चीनी विदेश नीति के प्रमुख से मिले थे। इस मुलाकात के बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आई है। सूत्रों के हवाले से द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा कि बिलावल ने सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद और सीपीसी केंद्रीय समिति के पॉलिटिकल ब्यूरो के सदस्य और विदेशी मामलों के केंद्रीय आयोग के कार्यालय के निदेशक वांग यी के साथ आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की।
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सऊदी अरब और चीन मदद करना चाहते हैं
रिपोर्ट के अनुसार मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, सऊदी और चीनी समकक्षों के साथ विदेशी मंत्री की बातचीत से मुझे जो जानकारी मिली, वह यह थी कि दोनों देश पाकिस्तान की मदद करने के इच्छुक हैं। म्यूनिख की बैठकों से पाकिस्तान के काफी उम्मीदें हैं। सूत्र ने दावा किया, ‘मैं बारीकी से तो नहीं बता सकता लेकिन मैं दावा करता हूं कि ये बैठकें वास्तव में अच्छी रहीं।
मित्र देशों की मदद चाहिए
आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए शहबाज सरकार ने कई कठोर उपाय लागू किए हैं। इनमें नए टैक्स लागू करना, बिजली और ईंधन पर सब्सिडी को घटना शामिल है। आईएमएफ को पाकिस्तान के मित्र देशों से ठोस आश्वासन की भी जरूरत है कि वे कर्जदार मुल्क से तत्काल लोन वापस नहीं मांगेगें। सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात को यह आश्वासन आईएमएफ को देना होगा जिसके बाद वह अगली किश्त को मंजूरी देगा।