आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पाकिस्तान की सरकार की मंशा आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर संदेहास्पद रही है। पाकिस्तान इन आतंकी गिरोहों को अपने नापाक मंसूबों को हासिल करने के लिए छद्म तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
आतंकी गिरोह पाकिस्तान की धरती पल-बढ़ रहे हैं और यहीं से अपनी काली करतूतों को अंजाम दे रहे हैं। कुछ आतंकी गिरोह अफगानिस्तान में बम धमाके और निर्दोष लोगों की हत्याएँ कर रहे हैं। आतंकियों का हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी गिरोह भारत को निशाना बना रहे हैं। हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकी गिरोह पाकिस्तानी इलाकों में सुरक्षित रह कर अपनी गंदी हरकतों को अंजाम दे रहे हैं। पाकिस्तान की सरपरस्ती में पनप रहे इन आतंकी गिरोहों की वजह से एशिया में शांति भंग हो रही है।
आतंकवाद एक अमेरिकी रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिंगापुर पोस्ट ने लिखा है कि पाकिस्तान की सरकार ने 2015में आतंक के खिलाफ एक नेशनल एक्शन प्लान बनाया था। इस प्लान पर भी पाकिस्तान ने कुछ खास नहीं किया। इस एक्शन प्लान में संकल्प लिया गया था कि पाकिस्तान की सरजमी पर पल रहे सभी आतंकी गिरोहों गुड टेररिस्ट या बैड टेररिस्ट का भेद किए बगैर समूल नष्ट कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है।
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने अभी तक 2008के मुबंई आतंकी हमलों के दोषी और संयुक्त राष्ट्र से डेजिगनेटेड टेररिस्ट जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर और साजिद मीर खुले आम घूम रहे हैं। पाकिस्तान की इमरान सरकार के रवैये को देख कर ऐसा अहसास होता है कि इन लोगों को खुले आम दहशत फैलाने का लाईसेंस इमरान सरकार ने दे दिया है।
सिंगापुर पोस्ट में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सरकार की तरह पाकिस्तान का ज्युडीशियल सिस्टम भी खामियों से भरा हुआ है। आतंकियों की हिफाजत करने वाले लोग पाकिस्तान की ज्युडीशियरी में भी बैठे हैं। अमेरिकी जर्नलिस्ट डेनियल पर्ल के हत्यारे उमर शेख और तीन अन्य हत्यारों को सिंध हाईकोर्ट से बरी करना साबित करता है कि पाकिस्तान आतंकियों को सजा ही नहीं देना चाहता।
सिंगापुर पोस्ट ने लिखा है कि पाकिस्तान दुनिया को यह विश्वास दिलाने में नाकाम रहा है कि वो वास्तव में टेररिज्म के खिलाफ कोई कार्रवाई करना चाहता है। अमेरिका में 9/11के हमलों के बाद से लगातार जाहिर हो रहा है कि पाकिस्तान आतंकियों के साथ पूरी तरह घुला मिला है। इंटरनेशनल सेंक्शंस और प्रतिबंधों से बचने के लिए पाकिस्तान कभी-कभार दिखावटी कार्रवाई करता है।
आतंक की नर्सरी बने मदरसों पर कॉस्मेटिक क्रेकडाउन करके पाकिस्तान सरकार दुनिया को भ्रमित करने की कोशिश जरूर करता है। वास्तविकता है कि आतंकवादी गिरोह और सरगना कुछ दिनों बाद फिर एक नए नाम और निशान के साथ हरकत में आ जाते हैं। इस रिपोर्ट में जो सबसे खतरनाक तथ्य दिया गया है वो यह है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ ही पाकिस्तान में आतंक की नर्सरी बने मदरसों की बाढ़ आ गई है। इन मदरसे लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं और अब तो पाकिस्तान में भी शरिया कानून की मांग करने लगे हैं।