आर्थिक तौर पर पाकिस्तान (Pakistan) चरमरा चुका है। आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा की कमी है। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ मदद की गुहार भी काम नहीं आई। आईएमएफ से वो मदद की आस में हैं लेकिन उसकी शर्तें माननी होंगी। आईएमएफ के सुझाव के मुताबिक शरीफ जो भी एक्शन लेंगे उसमें जनता को पीसना है। लेकिन कोई दूसरा विकल्प नहीं उस दिशा में पाकिस्तान सरकार ने अपनी जनता पर एक के बाद एक बम फोड़ रही है। ऐसे में पाकिस्तान में आर्थिक संकट और भी कई मुश्किलों को जन्म दे सकता है। दरअसल, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब अपने खात्मे के अंतिम पड़ाव में पहुंच रही है। मौजूदा स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि पाकिस्तान अब अपने सरकारी कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रहा है। वित्त और राजस्व मंत्रालय ने महालेखाकार पाकिस्तान राजस्व (AGPR) को केंद्रीय और उनसे जुड़े विभागों के वेतन समेत बिलों को क्लियर करने से रोक दिया है।
वित्त मंत्री इशाक डार से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह खबर गलत हो सकती है, इसलिए वह कन्फर्म करने के बाद कोई प्रतिक्रिया देंगे। द न्यूज के मुताबिक बाद में उनसे संपर्क नहीं हो सका। सूत्रों के मुताबिक वह AGPR के पास अपने बकाया बिल को क्लियर करने के लिए गए थे। लेकिन उन्हें बताया गया कि वित्त मंत्रालय ने सभी बिलों की मंजूरी पर रोक लगा दी है। वैसे रिपोर्ट्स यह भी कहती है रक्षा से जुड़े संस्थानों के वेतन और पेंशन को अगले महीने के लिए पहले ही मंजूरी दे दी गई है। इशाक डार ने बुधवार को एक मीटिंग के दौरान कहा था कि, ‘सरकार अर्थव्यवस्था को स्थिरता और विकास की ओर ले जा रही है। सरकार IMF की शर्तों को पूरा करने में लगी है।’
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सरकार ने बढ़ाए टैक्स
पाकिस्तान को IMF से 1.1 अरब डॉलर के कर्ज की उम्मीद है। लेकिन इस पैसे को पाने के लिए सख्त शर्तों को मानना होगा। शर्तों को मानते हुए पाकिस्तान ने कई तरह की सब्सिडी खत्म कर दिया है। सामान्य बिक्री कर को भी 17 फीसदी से बढ़ा कर 18 कर दिया गया है। वहीं, कारों और घरेलू उपकरणों से लेकर चॉकलेट और मेकअप के सामान पर आयात कर को 17 से बढ़ा कर 25 फीसदी कर दिया गया है।