पाकिस्तान ने तालिबान को लाने के लिए क्या-क्या खेल खेला ये किसी से छुपी हुआ नहीं है। पाकिस्तान की सह कर ही तालिबान ने अफगानिस्तान में तख्तापलट किया है। जिसका नतीजा आज वहां के आम लोग भुगत रहे हैं। इस बीच अब पाकिस्तान से भी तालिबान के सपोर्ट को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं। नेशलन असेंबली के सदस्य मोहसिन डावर ने कहा है कि पाकिस्ताने के विदेश मंत्री तालिबान के विदेश मंत्री की तरह बर्ताव कर रहे हैं।
डावर ने ये बात शनिवार को एक लाहौर के एक स्थानीय होटल में "अफगानिस्तान में अराजकता" पर एक पैनल चर्चा में कही। चर्चा में भाग लेते हुए, अफगान पत्रकार लोटुफुल्ला नजफिजादा ने कहा कि अफगानिस्तान के पास क्षमता का मुद्दा नहीं था, इसमें एक शासन मुद्दा था जिसे तालिबान द्वारा हल करने की आवश्यकता थी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी तालिबान के नेताओं से कई बार मिल चुके हैं। वहीं दुनिया देश अभी भी तालिबान के उपर नजर बनाए हुए हैं।
इस चर्चा में राजनीतिज्ञ अफरासियाब खट्टक ने कहा कि दोहा समझौता अफगानिस्तान में राज्य व्यवस्था के पतन का आधार था। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिस पर बिना किसी कानून और संविधान के शासन किया जा रहा है। एक और चर्चा के दौरान "अफगानिस्तान और पाकिस्तान में महिलाओं पर तालिबानीकरण का प्रभाव" में वक्ताओं ने अफगानिस्तान में महिला अधिकारों की तत्काल बहाली की मांग की। महबोबा सेराज ने कहा कि तालिबान को स्कूल और विश्वविद्यालय खोलने चाहिए उन्होंन कहा कि फिलहाल महिलाओं का समर्थन करने वाली कोई संस्था नहीं है।