शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं और इरमान खान के आगे अब पूर्व लग गया है। लेकिन, पिछले कुछ महीने से पाकिस्तान की राजनीति में खुब नौटंकी देखने को मिला। कभी इमरान खान विपक्ष पर हमला करते रहे तो कभी भारत का नाम लिया। इसके साथ ही अंत में तो उन्होंने अमेरिका पर बिल फाड़ दिया कि, उसी ने उनकी सरकार को गिराया है। इमरान खान का आरोप है कि देश में विदेशी ताकतों का सत्ता पर कब्जा हो गया है। उनका कहना है कि, अमेरिका ने उनकी सरकार गिराने के लिए विपक्ष और सेना के साथ संपर्क में था। यहां तक की खान ने एक गुप्त चिट्ठी का भी जिक्र किया था। लेकिन, अब खुलासा हुआ है कि इमरान कान की सरकार का गेम ओवर करने वाला अमेरिका नहीं बल्कि देश के अंदर ही कोई था। इसके साथ ही इमरान खान की सहाननुभूति ने आतंकियों को काफी बढ़ावा दे दिया।
एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो, खान की आतंकी गुटों के साथ सहानुभूति व समझौता नीति ने आतंकियों को काफी प्रोत्साहित किया है। उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से सुलह की जो पाक में प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। पाकिस्तानी समाचार पत्र इस्लाम खबर ने बताया कि इमरान ने आतंकियों को सामान्य नागरिक कहा और वे कभी भी सैन्य समाधान के पक्ष में नहीं रहे। इसके अलावा इसमें कहा गया है कि, पूर्व पाक पीएम ने तालिबान को प्रत्यक्ष समर्थन के आरोप हमेशा खारिज किए, जबकि 10,000 से ज्यादा पाकिस्तानी लड़ाके पड़ोस में पश्चिम समर्थित अफगानिस्तानी सरकार के खिलाफ तालिबान को युद्ध में मदद करते रहे। इससे देश में आतंकवाद को बढ़ावा मिला। हिंसा के अपराधियों के साथ इमरान खान की सहानुभूति ने खान की आतंकी नीति का उल्टा असर दिखाया और पाकिस्तान में भी आतंकी हमले बढ़ गए।
इधर पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) के बयानों के बाद से कई सवाल खड़े होने लगे हैं। NSC ने 15 दिनों में दूसरी बार कहा है कि पूर्व पीएम इमरान खान के दावों के विपरीत उनकी सरकार को गिराने के पीछे कोई विदेशी साजिश नहीं थी। खान द्वारा अब भी अपनी रैलियों में किए जा रहे दावे के बावजूद शीर्ष सुरक्षा एजेंसी का यह बयान खान के लिए बड़ा झटका है। इधर मुल्क की इकोनॉमी चरमराई हुई है। जिसपर पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने कहा है कि, इमरान खान ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है।