Hindi News

indianarrative

भारत-Saudi Arab की यह दोस्ती देख जल गया Pakistan, बेइज्‍जती पर पाकिस्‍तानी हुए आगबबूला

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

सऊदी अरब (Saudi Arab) के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का आज भारत दौरा है। सोमवार यानी आज वे सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन पहुंचे। यहां क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद का राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों से भी मुलाकात की। इससे पहले भारत और सऊदी अरब के बीच भारत-सऊदी निवेश समझौते के तहत कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए। यह सब देख कर पाकिस्तान जाल भून कर ख़ाक हो गया है।

वहीं कभी भारत के खिलाफ सऊदी अरब(Saudi Arab) का इस्‍तेमाल करने वाला पड़ोसी पाकिस्‍तान अपने देश की जनता के साथ बेइज्‍जत होने को मजबूर हो गया है। पाकिस्‍तान लगातार सऊदी प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि कुछ मिनट के लिए ही सही लेकिन मोहम्‍मद बिन सलमान इस्‍लामाबाद जरूर आएं। पाकिस्‍तान की इस शर्मनाक स्थिति पर देश के विशेषज्ञ भड़क उठे हैं।

एक समय ऐसा भी था जब पाकिस्‍तान की प्रति व्‍यक्ति आय भारत से ज्‍यादा थी

पाकिस्‍तानी अखबार एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून में कामरान युसूफ लिखते हैं, ‘एक समय ऐसा भी था जब पाकिस्‍तान की प्रति व्‍यक्ति आय भारत से ज्‍यादा थी लेकिन आज हम दुनिया से कर्ज की गुहार लगा रहे हैं। पाकिस्‍तान का उस समय दुनियाभर में प्रभाव भी बहुत ज्‍यादा था। इस्‍लामिक देशों के संगठन ओआईसी की भले ही सऊदी अरब (Saudi Arab) अध्‍यक्षता करता था लेकिन पर्दे के पीछे से उसे पाकिस्‍तान चलाता था। दुनिया के नेता जब दक्षिण एशिया की यात्रा पर आते थे तो वे कभी भी पाकिस्‍तान नहीं आने का साहस नहीं कर पाते थे। वे पहले पाकिस्‍तान में रुकते थे और फिर भारत जाते थे। सऊदी प्रिंस तो पाकिस्‍तान आए बिना ही भारत चले गए। वह भी तब जब पाकिस्‍तान सऊदी अरब को अपना ‘मुस्लिम ब्रदर’ मानता है।

पाकिस्‍तान भीख मांगता रहा, भारत तरक्‍की कर गया

कामरान ने बताया कि पाकिस्‍तान में जब सेना ने विद्रोह किया और उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाए गए तब भी साल 1999 बिल क्लिंटन भारत जाते समय इस्‍लामाबाद में रुके थे। 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने भारत और पाक‍िस्‍तान के बीच समझौता कराया था ताकि पाकिस्‍तान अफगानिस्‍तान के मोर्चे पर अपना ध्‍यान लगा सके। अमेरिका ने इस दौरान पाकिस्‍तान को जमकर डॉलर दिए थे। इस दौरान जहां भारतीयों ने अपनी अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत करना शुरू किया, वहीं पाकिस्‍तान लगातार दूसरे देशों की मदद पर ही निर्भर बना रहा। पाकिस्‍तान को यह अहसास नहीं हुआ कि चीन के उदय से अमेरिका के प्रभुत्‍व को सीधा खतरा पैदा हो गया है और इससे भूराजनीतिक स्थिति बदल गई है।

यह भी पढ़ें: G20 में Saudi Arab के प्रिंस की भारत से नजदीकी देख बौखलाया Pakistan, समिट के बाद भी भारत रुकेंगे क्राउन प्रिंस?