पाकिस्तान (Pakistan) अपने सदाबहार दोस्त चीन के कंधे पर इतना ज्यादा आश्रित हो गया है कि अब उसे ड्रैगन अपनी ऊंगली पर नचा रहा है। चीन के चक्कर में जो भी फंसा है वो बर्बाद ही हुआ है। अब बेहाल पाकिस्तान की संघीय सरकार पर कुल कर्ज 34 फीसदी बढ़ गया है। शहबाज शरीफ सरकार पर अप्रैल महीने के अंत तक यह कर्ज 58.6 ट्रिलियन रुपये पहुंच गया है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने यह आंकड़ा जारी किया है। इसमें 36.5 ट्रिलियन जहां घरेलू कर्ज है, वहीं विदेशी कर्ज भी 22 ट्रिलियन रुपये पहुंच गया है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि आईएमएफ जहां युद्धग्रस्त यूक्रेन को लोन दे रहा है, वहीं पाकिस्तान के बार-बार भीख मांगने के बाद भी उसे लोन नहीं मिल रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की में एक बार फिर से आशा जताई है कि आईएमएफ पाकिस्तान का प्रोग्राम फिर से बहाल कर देगा। शहबाज भले ही उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसके दूर-दूर आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इस प्रोग्राम की आखिरी डेडलाइन जून तक ही है।
ये भी पढ़े: China से लेकर सऊदी अरब ने पाकिस्तान से फेरा मुंह! दुनियाभर में हो रही किरकिरी
चीन की वजह से IMF नहीं दे रहा है लोन?
वहीं विश्लेषकों ने यह भी कहा कि IMF पर अमेरिका का काफी प्रभाव है और पहले उसके एक फोन से पाकिस्तान को लोन मिल जाता था लेकिन अब हालात बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन की बढ़ती नजदीकी और अमेरिका और ड्रैगन के बीच तनाव अब इस्लामाबाद के लिए संकट का विषय बन गया है। IMF चीन की वजह से कर्ज देने से आनाकानी कर रहा है।
इस बीच IMF के बेलआउट कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए पाकिस्तान सरकार के दबाव ने अब देश की वैश्विक छवि पर नकारात्मक प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। इससे पाकिस्तान के मित्र राष्ट्रों के रुख में बड़ा बदलाव आया है। तुर्की, चीन, सऊदी अरब और यूएई जैसे पाकिस्तान के मित्र देश भी अब अपनी नीति में बदलाव करते दिख रहे हैं।