प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा नियुक्त वार्ता दल ने पाकिस्तान सरकार और प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) संगठन के बीच समझौते की घोषणा की। फ्रांस के राजदूत के निष्कासन और टीएलपी के प्रमुख की रिहाई की मांग को लेकर कुछ दिनों से हिंसक विरोध- प्रदर्शन के बाद यह समझौता हुआ है। बताया जा रहा हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने मौलवियों के एक ग्रुप को टीएलपी के साथ बातचीत करने का काम सौंपा था।
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टीएलपी के हजारों सदस्यों ने 15 अक्टूबर को लाहौर से इस्लामाबाद की ओर तब मार्च करना शुरू कर दिया था, जब सरकार ने घोषणा की थी कि वह फ्रांसीसी दूत के निष्कासन की उसकी मांग को पूरा नहीं कर सकती है। समझौते की घोषणा विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर, संसदीय कार्य मंत्री अली मोहम्मद खान, धार्मिक विद्वान मुफ्ती मुनीबुर रहमान और टीएलपी सदस्य मुफ्ती गुलाम अब्बास फैजी व मुफ्ती मोहम्मद अमीर ने की।
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पाकिस्तान मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार की तरफ से वार्ता की अगुवाई करने वाले मुफ्ती मुनीब के हवाले से कहा है- 'पाकिस्तान सरकार और टीएलपी के बीच आपसी विश्वास के माहौल में विस्तृत चर्चा हुई और दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है।' हालांकि, उन्होंने समझौते के बार में कोई विशेष जानकारी नहीं दी और कहा कि 'उचित समय' पर शेयर किया जाएगा। मुनीब ने कहा कि समझौता किसी व्यक्ति की जीत नहीं है और वार्ता किसी भी दबाव से मुक्त है। उन्होंने कहा कि इस समझौते का टीएलपी प्रमुख साद रिजवी ने भी समर्थन किया है।