नेशनल असेंबली में शिकस्त को पहाड़ सी खड़ी देख इमरान खान ने नया पैंतरा खेल दिया है। इमरान खान ने एक तरफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ रिट दाखिल करवा दी है और दूसरी ओर रविवार सुबह साढ़े 11 बजे तक के लिए सदन को स्थगित कर दिया है। गुरुवार को शाम 4 बजे जैसे ही नेशनल असैंबली का इजलास शुरू हुआ तो विपक्षी लीडरों ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग की। बनिगाला में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल बैठक खत्म हुई और फवाद चौधरी मीडिया को ब्रीफ कर रहे थे, इसीबीच खबर आई कि असेंबली का सेशन रविवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
इमरान खान की सरकार बचाने के लिए याचिकाकर्ता सैयद तारिक बदर ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विश्वास मत को रोकने की मांग की गई है। पाकिस्तान की एआरवाई न्यूज के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने इमरान खान के उस पत्र के संदर्भ का हवाला दिया है जिसमें कथित तौर पर उनकी सरकार को गिराने के लिए एक विदेशी साजिश की ओर इशारा किया गया था।
याचिकाकर्ता सैयद तारिक बदर ने शीर्ष अदालत से पत्र की जांच का आदेश देने की विनती की है। जिसमें कहा गया है कि पत्र एक बेहद संवेदनशील और गंभीर मामला है और जब तक इस पत्र की जांच नहीं की जाती, तब तक एसेंबली में वोट देने पर रोक लगनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि अदालत को देश की संप्रभुता और गरिमा के खिलाफ राजनीतिक दलों की भूमिका की जांच का भी आदेश देना चाहिए और इसमें शामिल पाए जाने वालों को दंडित किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि प्रधान मंत्री इमरान खान ने एक रोज पहले दावा किया था कि उनकी सरकार को गिराने की एक विदेशी साजिश के सबूत मिले हैं। उन्होंने उस पत्र को संसद के बंद कमरे में मीडिया के सामने पेश किया था। एआरवाई न्यूज के मुताबिक, पत्र में लिखा गया है कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विफल होने पर पाकिस्तान के लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी। "हम खुश नहीं हैं। अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर ही सब कुछ ठीक होगा।
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि गुरुवार की अल सुबह 3 बजे आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने शहबाज शरीफ, बिलावल भुट्टो और मौलाना फजल उर रहमान को तलब किया और कहा कि अविश्वास प्रस्ताव वापस ले लिया जाए तो इमरान खान के इस्तीफे साथ ही मुल्क में नए चुनावों का ऐलान किया जा सकता है। आर्मी चीफ के इस ऑफर से विपक्षी दल सन्नाटे में आ गए। उन्होंने आर्मी चीफ से समय मांगा और जीएचक्यू से रुखसत हुए। ऐसा माना जा रहा है कि आर्मी चीफ की नई पहल के बाद पाकिस्तान के सियासी संकट में एक और मोड़ आ गया है।