पाकिस्तान में इस वक्त हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष के साथ पाकिस्तानी आर्मी भी जी जान से लगी हुई है। इसके साथ ही आवाम भी नए चेहरे की तलाश कर रही है। ऐसे में इमरान खान को प्रधानमंत्री पद पर बने रहना नामुकिन है। रविवार को नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना है। इसके बाद किसी भी वक्त उनकी सरकार गिर सकती है। लेकिन, एक और खबर है कि उन्हें सिर्फ सत्ता से ही बाहर नहीं किया जा रहा है बल्कि आजीवन पाकिस्तान से बाहर किया जा रहा है।
गुप्त चिट्ठी का मामला इस वक्त गरमाया हुआ है। खान ने ये चिट्ठी पत्रकारों को कुछ दूरी से ही दिखाई थी। माना जा रहा है कि, इमरान खान का ये आखिरी दांव है। सरकार के कानूनी सहालकारों ने भी इमरान खान को चेतावनी दी है कि, विदेशी कार्यालय के दस्तावेज साझा करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, हो सकता है कि उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाए। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, विदेश कार्यालय की ओर से मिली उस गुप्त चिट्ठी पर खान ने कानूनी सलाह मांगी थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि एक विदेश देश ने पाकिस्तान के दूत के माध्यम से एक धमकी भरा संदेश भेजा था। सूत्रों की मानें तो, कानूनी शाखा ने अपनी सलाह में कहा है कि, राजनयिक गुप्त दस्तावेज, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923के दायरे में आता है। इसे न तो भेजने वाला और न ही रिसीव करने वाला साझा कर सकता है। अगर प्रधानमंत्री इस राजनयिक दस्तावेज को साझा करते हैं, तो यह उनकी शपथ का उल्लंघन माना जाएगा और उन्हेंन संविधान के आर्टिकल 62के तहत आजीवन आयोग्य घोषित किया जा सकता है।
पाक पत्राकारों की माने तो, खान ने यह चिट्ठी कुछ दूर से दिखाई और सिर्फ इसकी ऊपरी बातों को ही साझा किया। पत्र को जिन पत्रकारों को दिखाया गया, उनमें से एक ने एआरवाई न्यूज (ARY News) से बातचीत में कहा कि यह साफ है कि पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए जो घटनाक्रम हो रहा है, उसके बारे में सात मार्च को ही बताया गया था। पत्र में कहा गया था कि अगर अविश्वास प्रस्ताव सफल हो जाता है और इमरान सरकार गिर जाती है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की समस्याएं कम हो जाएंगी। अगर यह प्रस्ताव नाकाम होता है तो पाकिस्तान को बात मनवाने के लिए दबाव बनाना होगा।
इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि, इस चिट्ठी की भाषा धमकाने वाली थी और इमरान सरकार ने इसे कैबिनेट बैठक में सामने रखा। पत्रकार अरशद शरीफ ने सूत्रों को हवाले से दावा किया है कि, जब इस चिट्ठी को कैबिनेट के सामने रखी गई तो पांच से छह मंत्री रोने लगे। प्रधानमंत्री ने खुद चर्चा के दौरान किसी देश या अफसर का नाम नहीं लिया लेकिन, उन्होंने यह जरूर कहा कि इस पत्र को सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख फैज हमीद के साथ साझा किया गया था। उन्होंने कहा कि इस बारे में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी संसद में बयान भी देंगे।