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भस्मासुर बना तालिबान तो घबराया इमरान खान, चारों तरफ से घिरा पाकिस्तान

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अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथों में है। तालिबान के रूप में पाकिस्तान को सेर पर सवा सेर मिल गया है। एक तरफ प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके बड़बोले विदेश मंत्री शाह शाह महमूद कुरैशी तालिबान सरकार के लिए दुनिया से समर्थन मांग रहे हैं। दूसरी तरफ तालिबान ने डूरंड लाइन को मानने से इंकार कर दिया है। यही नहीं, सीमा पर बाड़बंदी करने आए पाकिस्तानी सैनिकों को भी रोक दिया है। आपको बता दें कि बाड़बंदी रोकने के लिए तालिबान के लड़ाके पाकिस्‍तानी इलाके में तोपों से गोले बरसा रहा है।

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करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर तालिबान की पनाह में रह रहे तहरीक-ए-तालिबान के आतंकी लगातार पाकिस्‍तानी सैनिकों की जान ले रहे हैं। अफगानिस्‍तान के चर्चित पत्रकार बिलाल सरवरी ने स्‍थानीय लोगों के हवाले से बताया कि टीटीपी के एक हमले में दो पाकिस्‍तानी सैनिकों की मौत हो गई। इसके जवाब में पाकिस्‍तानी सेना ने अफगानिस्‍तान के कुनार इलाके में डूरंड लाइन पर जोरदार गोलाबारी शुरू कर दी। इसके जवाब में तालिबान के आतंकियों ने भी जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्‍तानी सेना के दो सुरक्षा चौकियों पर तोप से गोले दागे।

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हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि तालिबान के खिलाफ लड़ना पाकिस्तान का गलत निर्णय था। पाकिस्तान अमेरिकी पैसों के लिए लड़ रहा था। इसके बावजूद तालिबान और पाकिस्तान में अच्छे संबंध बने रहे, लेकिन सत्ता पर काबिज होने के बाद अब तालिबान और पाकिस्तान के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। तालिबान पाकिस्तान को छोड़ भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहता है, ऐसे संकेत कई बार मिल चुके हैं। पाकिस्तान ने अमेरिका और तालिबान के बीच 2020 में सेना वापसी को लेकर हुए समझौते में अहम भूमिका अदा की थी। इतना ही नहीं इस्लामिक देशों के संगठन- ओआईसी की बैठक में भी पाकिस्तान ने तालिबान को मान्यता देने की मांग उठायी, लेकिन हालिया समय में दोनों के बीच विवाद की स्थिति बढ़ती जा रही है।

अफगानिस्तान में तालिबान शासन शुरू होने के बाद से ही स्थितियां काफी नाजुक बनी हैं। खासकर अपने कट्टरपंथी रवैये की वजह से तालिबान को आर्थिक मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, इन सबके बावजूद यह संगठन अफगानिस्तान की एक अलग पहचान और शरिया कानून लागू करने के मकसद को पूरा करने की कोशिश में है। हैरान करने वाली बात यह है कि अपने इन लक्ष्यों को पूरा करने में उसका तनाव पाकिस्तान के साथ भी बढ़ता जा रहा है।