पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन का 48वां सत्र जारी है। दो दिनों तक चलने वाले ओआईसी की इस बैठक में 57 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस बार ओआईसी की मेजबानी पाकिस्तान कर रहा है। ओआईसी में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर से कश्मीर का राग छेड़ा। मरान खान ने कहा कि हम डेढ़ अरब मुसलमान हैं, बावजूद इसके कश्मीर और फलस्तीन का मुद्दा सुलझाने में फेल साबित हैं। हमारा कश्मीर पर कोई प्रभाव नहीं है, वे हमें गंभीरता से नहीं लेते हैं। कश्मीरी लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं दिया जा रहा है।
इमरान खान ने का कि भारत ने अवैध रूप से कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसकी वजह यह है कि भारत कश्मीर पर कोई दबाव महसूस नहीं करता है। मैं विदेश नीति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं क्योंकि हर देश की विदेश नीति अलग-अलग होती है। लेकिन हमें इसके खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की जरूरत है, नहीं तो ये अत्याचार कश्मीर और फलस्तीन में होते रहेंगे। उधर, बलूचों की आवाज कुचलने वाले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने फलस्तीन की कश्मीर से तुलना करते हुए कहा कि कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि विदेशी हस्तक्षेप के कारण मुस्लिम देशों में आतंकवाद फैल रहा है।
कुरैशी ने दावा किया कि कश्मीर और फलस्तीन में मुसलमान मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि कश्मीर में मुस्लिम घिनौने आधिपत्य का सामना कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में नरसंहार बहुत निकट है। कुरैशी ने यह भी दावा किया कि भारत कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र और ओआईसी के प्रस्तावों का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा, 'इन अवैध कृत्यों की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का खतरा बढ़ गया है।' कुरैशी ने कहा, 'कश्मीरी जनता अपने मुस्लिम भाई और बहनों की तरफ मदद के लिए देख रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर में जनसंख्या को बदलने का प्रयास किया जा रहा है ताकि उसे मुस्लिम अल्पसंख्यक इलाके में बदल दिया जाए। पाक विदेश मंत्री ने दावा किया कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों खासकर जिनेवा समझौते का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों की एकजुटता पाकिस्तान की विदेश नीति के मुख्य आधारों में से एक है।