पाकिस्तान की राजनीति में इस वक्त काफी उथल-कूद मची हुई है। इमरान खान सरकार की अब तब लगी हुई है। विपक्षी दल इस वक्त इमरान खान के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं। देश में बढ़ती महंगाई, विश्व कर्ज के अलावा कई और मुद्दों पर विपक्ष ने घेर रखा है और अब अविश्वास प्रस्ताव में तय हो जाएगा कि इमरान खान सत्ता में रहेंगे या फिर नहीं। हालांकि, 28 मार्च होने वाला अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बताया जा रहा है कि इमरान खान की सरकार जानी तय है। इसमें एक संकेत जनरल बाजवा ने भी दे दिया है। जिसके बाद वहो भागते हुए बाजवा से मिलने पहुंचे गए हैं ताकि उन्हें सेना का साथ मिल सके।
संयुक्त विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बीच शुक्रवार को इमरान खान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की है। इस बैठक के एजेंडा को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। स्थानीय मीडिया का कहना है कि इमरान और बाजवा ने इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) के पाकिस्तान में आगामी शिखर सम्मेलन, बलूचिस्तान में हिंसा और इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान को लेकर बातचीत की है। पाकिस्तान की ही मीडिया चैनल कैपिटल टीवी का कहना है कि, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अधिकतर नेता इस बैठक के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। देश में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच बैठक का नतीजा अहम माना जा रहा है। देश के आर्थिक कुप्रबंधन और खराब विदेश नीति का आरोप लगाकर इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने के लिए विपक्षी दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के बैनर तले रैली की है। इमरान और बाजवा के बीच खुफिया एजेंसी आईएसआई के नए डीजी की नियुक्ति को लेकर भी मतभेद हुए थे।
इमरान खान पाकिस्तान सेना का अपने प्रति समर्थन पाना चाहते हैं, जो कभी तक अविश्वास प्रस्ताव पर तटस्थ बनी हुई है। खान और सेना के बीच दरार आईएसआई चीफ को लेकर चलते आ रही है लेकिन, उस वक्त और भी ज्यादा मतभेद हो गए जब, PTI नेता ने 11 मार्च को अपने अभद्र भाषा वाले भाषण में विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करने की बाजवा की सलाह को खारिज कर दिया था। खान ने कहा था कि, मैं बस जनरल बाजवा से बात कर रहा था और उन्होंने मुझे कहा कि मैं फजल को 'डीजल' ना कहूं। लेकिन मैं अकेला नहीं हूं, जो ऐसा कह रहा है। लोगों ने उनका नाम डीजल रख दिया है। इमरान ने कथित तौर पर जमीयत उलेमा-ए इस्लाम (एफ) के नेता मौलाना फजलुर रहमान का जिक्र करते हुए ये बात कही थी।