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बर्बादी के भंवर में फंसा PAK, कंगाल पाकिस्तान का रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आकर गिरा

पाकिस्‍तान में रुपया रसातल में पहुंचा

पाकिस्तान (Pakistan) के आर्थिक हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जल्द मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान डिफॉल्ट भी हो सकता है। डिफॉल्ट होने की स्थिति में पाकिस्तान के पास अपने पुराने कर्जों को चुकाने के लिए पैसे नहीं बचेंगे। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा। पाकिस्तान में विदेशी निवेश पहले ही काफी कम है। डिफॉल्ट होने की सूरत में यह लगभग खत्म ही हो जाएगा। इस बीच पाकिस्तान कि परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही रही क्योंकि पाकिस्‍तान को जहां अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष से कर्ज नहीं मिल रहा है, वहीं पाकिस्‍तानी रुपया अब हर दिन अब नए-नए रेकॉर्ड बना रहा है।

वहीं अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष के कर्ज देने में देरी करने के बाद अब पाकिस्‍तानी रुपया ऐतिहासिक स्‍तर पर सबसे नीचे आ गया है। पाकिस्‍तान में अब 1 डॉलर के मुकाबले रुपये का दाम 288 रुपये पहुंच गया है। पाकिस्‍तान के डिफॉल्‍ट होने का खतरा मंडरा रहा है और अगर आईएमएफ लोन नहीं देता है तो जल्‍द ही हो सकता है। पाकिस्‍तान में आईएमएफ के प्रतिनिधियों ने कहा है कि शहबाज सरकार को लोन पाने के लिए अभी कुछ और कार्य करने होंगे। पाकिस्‍तान आईएमएफ से 6.5 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज चाहता है। पाकिस्‍तान एक तरफ जहां लोन के लिए गिड़गिड़ा रहा है, वहीं आईएमएफ ने डिफॉल्‍ट हो चुके श्रीलंका की मदद के लिए पिछले महीने 3 अरब डॉलर का लोन दिया है। पाकिस्‍तान और आईएमएफ (IMF) के बीच भले ही बात हो गयी लेकिन अब तक कुछ साफ नहीं हो पाया है।

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पाकिस्‍तान दोस्त चीन की मदद से बचा है

इतना ही नहीं पाकिस्‍तान ने आईएमएफ के कहने पर टैक्‍स की दर बढ़ा दी है और पेट्रोल तथा डीजल के दाम में भी भारी बढ़ोत्‍तरी की है। पाकिस्‍तान ने अपनी मुद्रा को भी अवमूल्‍यन होने के लिए मुक्‍त कर दिया है ताकि आईएमएफ की कर्ज की शर्तों को पूरा किया जा सके। पाकिस्‍तान को आईएमएफ लगातार कर्ज देने से परहेज कर रहा है, वहीं शहबाज सरकार बार-बार यही कह रही है कि बातचीत अंतिम चरण में है।

वैसे इस बात में कोई दोराय नहीं है कि पाकिस्‍तान अब तक डिफॉल्‍ट हो चुका होता अगर चीन ने उसे कई अरब डॉलर का ताजा लोन नहीं दिया होता। इस बीच यूक्रेन के खिलाफ रूस के जारी युद्ध के बीच जेलेंस्‍की सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के नए सहायता कार्यक्रम से 2.7 अरब डॉलर की पहली किश्त मिली है। एक शीर्ष अधिकारी ने ये जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने नेशनल बैंक ऑफ यूक्रेन (एनबीयू) के अध्यक्ष एंड्री पिश्नी के हवाले से कहा, ‘हम अपने भागीदारों को उनकी त्वरित मदद के लिए धन्यवाद देते हैं।’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन अब सक्रिय रूप से कार्यक्रम की पहली समीक्षा को सफलतापूर्वक पारित करने और सहायता की अगली किश्त प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है।