पाकिस्तान के बारे में पूरी दुनिया जानती है कि ये धोखेबाजी और झूठ के लिए वश्व प्रख्यात है। आतंकवाद को पनाह देने वाला पाकिस्तान जम्मू कश्मूर को लेकर दुनिया के सामने राग अलापता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, केंद्र सरकार ने जितने फैसले लिए उसके बदौलत आज घाटी में बदलाव देखने को मिलने लगा है। यहां पर कश्मीरियों के हित में एक से बढ़ कर एक काम हो रहे हैं। घाटी के लोग बंदूक छोड़कर हाथों में कलम थाम लिया है। यही पाकिस्तान से देखा नहीं जा रहा है, कि आखिर वो अब आतंक कैसे फैलाएगा। पाकिस्तान को लेकर एक खुलासा हुआ है कि, ये पश्चिमी देशों में भारत के खिलाफ झूठ की फैक्टी लगा रखा है और लगातार उसके दुष्प्रचार कर रह है।
ग्रीस की मीडिया ने खुलासा किया है कि, हाल ही में ब्रिटेन और यूरोप के दौरे पर गए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कथित राष्ट्रपति सुल्तान महमूद ने दो दुष्प्रचार समूह बनाने की कोशिश की। इनमें से एक दुष्प्रचार समूह का नाम 'फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर' और दूसरा 'यासीन मलिक डिफेंस कमिटी' रखा गया है। ग्रीस की न्यूज वेबसाइट डायरेक्टर के अनुसार- सुल्तान महमूद ने 31 अगस्त की समय सीमा रखी है और इस तय सीमा के अंदर ब्रिटेन और यूरोप के सभी शहरों और कस्बों में दोनों ही अभियानों के लिए नेटवर्क बनाना होगा। महमूद का इरादा इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मस्जिदों और पाकिस्तान के दूतावास का इस्तेमाल किया जाए। साथ ही पाकिस्तान के धार्मिक कट्टरपंथियों और पीओके के विदेश में रह रहे लोगों की भी मदद लेने का भी प्लान है।
दरअसल, पाकिस्तान के ज्यादातर प्रवासी ब्रिटेन और यूरोप में ही राजनीतिक शरण लेते हैं। इसके लिए उन्हें प्रवासियों के बीच काम कर रही एक राजनीतिक पार्टी के एक पत्र की जरूरत होती है। इस पत्र से यह पुष्टि किया जाता है कि, वे अपने देश में जुल्म सह रहे हैं और पार्टी के कामकाज को करने के दौरान उनकी जान को खतरा है। पाकिस्तान के इन कथित प्रवासियों को असल में कोई दिक्कत नहीं होती है, बल्कि वे विदेश में इसलिए आते हैं ताकि नौकरी हासिल करके वहां से पैसे वापस पाकिस्तान भेज सकें। इन्ही पाकिस्तानियों की मदद से मस्जिदों, पीके प्रवासियों से जुड़े राजनीतिक दलों औऱ दूतावासों के जरिए की जाती है।
ग्रीस मीडिया के अनुसार, मस्जिदों के पीछे गुप्त रूप से पाकिस्तानी दूतावाज होता है। मस्जिदों के इमाम इन नए प्रवासियों को नौकरी हासिल करने में मदद करते हैं और फिर उन्हें अपने धार्मिक या राजनीतिक नेटवर्क में शामिल कर लेते हैं। पाकिस्तान अक्सर लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन करता है जिसे मस्जिदों, प्रवासियों और राजनीतिक दलों की मदद से अंजाम दिया जाता है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में संसदीय चुनाव या परिषद के चुनाव के दौरान मुस्लिम वोटों का भी काफी महत्व होता है और यही वजह है कि पाकिस्तान की ओर से कश्मीर पर फैलाए गए दुष्प्रचार के झांसे में आ जाते हैं।
ब्रिटेन के लीड्स इलाके में 5.43 प्रतिशत वोटर और नाटिंघम में 8.8 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम हैं। इसके अलावा कई अन्य इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 8 से लेकर 24 प्रतिशत तक है। इनमें से ज्यादातार पाकिस्तान से और उनमें से भी बड़ी तादाद में लोग पीओके से हैं। पाकिस्तान जो भी चाल चल रहा है बेहद ही घटिया चल रहा है। इसका अंजाब उसे ही भुगतना होगा। जिस तरह से आतंकवाद आज उसके लिए गले की हड्डी बना हुआ है उसी तरह एक दिन वो अपने इसी जाल में फंस जाएगा।