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Pakistan में औरतों की आजादी पर शिकंजा! तालिबान जैसे फरमान जारी, सैर-सपाटे पर गईं लड़कियां तो…

पाकिस्तान में पर्यटन स्थलों पर महिलाओं का जाना बैन

वैसे तो पूरे पाकिस्तान की हालत खराब है लेकिन, यहां पर महिलाओं की भी जिंदगी काफी अच्छी नहीं है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अब महिलाओं से उनकी आजादी छीनना चाहता है। क्योंकि, महिलाओं को लेकर यहां पर फरमान जारी किया गया है कि, वो पर्यटन स्थलों पर नहीं जा सकती। औरतों के इस कदम को वो अनैतिक बता रहा है। जब दुनिया में महिलाएं हर एक क्षेत्र में तरक्की कर रही हैं और कई देशों का कमान संभाल रही हैं तो पाकिस्तान में इस तरह की रोक लग रही हैं। यह पाकिस्तान की मानसिकता को दर्शाता है कि महिलाओं को लेकर उसकी क्या सोच है।

पाकिस्तान के बाजौर ज़िले की तहसील सालारजई में एक जिरगा ने महिलाओं के पर्यटन स्थलों पर जाने को प्रतिबंधित कर दिया है। पाक मीडिया की माने तो, सालारजई में स्थानीय बुज़ुर्गों की एक भव्य जिरगा जिसे परिषद या सभा भी कहते हैं ने यह फरमान जारी किया है कि महिलाएं पुरुषों के साथ भी पर्यटन स्थलों पर नहीं जाएंगी, यह उनकी परंपराओं के ख़िलाफ़ है। जिरगा जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (JUI-F) की देखरेख में आयोजित किया गया था जिसे जेयूआई-एफ जिला अमीर ने संबोधित किया।

मौलाना ने हिल स्टेशनों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को शामिल करने पर सहमति जताते हुए इसे अश्लील बताते हुए अपने फैसले का ऐलान किया। मौलाना का कहना है कि, हम अधिकारियों से इस प्रथा को समाप्त करने के लिए कहते हैं क्योंकि हम कानून को अपने हाथ में नहीं लेंगे। यह निर्णय सालारजई के सभी कबीलों द्वारा किया गया है। पर्यटन की आड़ में महिलाओं को पिकनिक स्पॉट पर ले जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अगर सरकार इस संबंध में कोई कार्रवाई करने में विफल रही तो जिरगा इस पर प्रतिबंध लगाएगी। यह भी मांग किया गया है कि, जिले के विभिन्न विभागों में स्थानीय निवासियों की भर्ती की जाए और गैर-स्थानीय लोगों को स्वीकर नहीं किया जाएगा। जब दुनिया इतनी आगे बढ़ रही है, आधुनिक होते जा रही है, महिलाएं हर एक क्षेत्र में अपने प्रतिभा को दिखा रही हैं तो ऐसे में पाकिस्तान अपनी उसी घटिया सोच को लेकर चल रहा है जिसे वो दशकों से लेकर चलता आया है।

जिरगा पाकिस्तान की सदियों पुरानी परंपरा है

बता दें कि, सालारजई एक आदिवासी जिला। खैबर-पख्तूनवा प्रांत के साथ विलय के बावजूद, यहां के स्थानीय बुजुर्ग अपने अनुसार फैसले लागू करते हैं। ये सिर्फ कानून नहीं बल्कि, पाकिस्तान के ही संविधान और कानूनों की धज्जियां उड़ाते हैं। इसे पाक का पिछड़ा जिला माना जाता है। यहां जिरगे की सदियों पुरानी परंपरा अभी तक चली आ रही है। पहले कबीले हुआ करते थे और कई कबीलों के नेताओं का एक जिरगा लगाया जाता था। जहां सभी तरह के फैसले लिए जाते थे। आमतौर पर इस तरह के कबीले कुछ अन्य देशों में भी पाए जाते हैं।