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‘घोड़े को देख मेढ़की चली नाल ठुकवाने’ EU-अमेरिका को दरकिनार कर रूस से तैल-गैस और गेंहू खरीदेगा पाकिस्तान!

रूस से क्रूड ऑयल और गेंहू खरीदेगा पाकिस्तान!

हिंदी में एक कहावत है घोड़े को नाल ठुंकवाते देख मेढकी ने भी नाल ठुंकवाने की जिद ठान ली… उसके आगे क्या है आप सब जानते हैं। ऐसी ही जिद या चाल पाकिस्तान चलने जा रहा है। यूरोपियन यूनियन और अमेरिका से बगावत कर पाकिस्तान के पीएम नए पीएम शहबाज शरीफ रूस से तैल खरीदने की योजना बना रही है। शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए-नए पीएम हैं। यह बात अलग है कि उन्हें अपने बड़े भाई और पूर्व पीएम नवाज शरीफ से सरकार चलाने की कोचिंग मिल रही है। मगर हिंदुस्तान के पीएम मोदी के आगे शहबाज शरीफ की हालत मेढकी जैसी भी नहीं है।

यूरोपियन यूनियन पाकिस्तान को 1.5 बिलियन डॉलर हर साल की आर्थिक मदद देती है। अगर पाकिस्तान रूस से तेल और गैस की डील करता है तो इस डील पर संकट ख़ड़ा हो सकता है। इसी तरह अमेरिका तमाम विरोधों के बावजूद पाकिस्तान को 3 बिलियन डॉलर लगातार दे रहा है। अगर यूक्रैन-रूस जंग के दौरान पाकिस्तान से गेहूं और तैल-गैस खरीदेगा तो 3 बिलियन डॉलर खतरे में पड़ सकते हैं।

पाकिस्तान के हालात तो यह हैं कि अगर वो रूस से डील करता है तो ईयू और अमेरिकी मदद भी रुक जाएगी, पाकिस्तान निश्चित तौर पर टूट जाएगा और अगर पाकिस्तान रूस से डील नहीं करता है तो तेल-गेहूं के बोहरान से बाहर नहीं आसकता। बहरहाल, मेढकी को क्या करना है, नाल ठुकवाती है या फिर घोड़े की बरावरी करना छोड़ती है दोनों में उसका मरण है।  

 दरअसल, दुनिया भर के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदा है। अब पाकिस्तान भी भारत के नक्शे कदम पर चलना चाहता है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने शुक्रवार को रूस से गेहूं और तेल के आयात से इनकार न करते हुए कहा कि राष्ट्र के हित लिए सभी विकल्प खुले हैं। पीएम मोदी ने दुनिया के दबाव के बावजूद भी रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदा है। इमरान खान ने भी कई बार अपनी रैलियों में इस बात का जिक्र करते हुए भारत की तारीफ की है।

माना जा रहा है कि इमरान के दबाव और महंगे पेट्रोल के कारण शबहाज शरीफ सरकार बगावती तेवर दिखाते हुए रूस से क्रूड ऑयल खरीद सकती है। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार ने शुक्रवार को कहा, 'हमरी नीति स्पष्ट है। राष्ट्रीय हित के लिए आर्थिक और व्यापार संबंधों के विस्तार के संदर्भ में हमारे विकल्प खुले हुए हैं। जहां भी हर अपने राष्ट्रीय हित देखेंगे उन रास्तों पर चलेंगे।

भारत ने अप्रैल महीने में रूस से 2 लाख 77 बैरल पेट्रोलियम प्रतिदिन खरीदा है। भारत ने इस बारे में अपनी चिंताओं से ईयू और अमेरिका को अवगत करा दिया था। भारत ने अमेरिका और ईयू को आईना भी दिखाया था कि रोक लगाने और रूस पर बैन लगाने के बावजूद ईयू के देश और खुद अमेरिका रूस से तैल और गैस दोनों खरीद रहा था। यहां तक कि ब्रिटेन एक स्पेशल लाइन के जरिए पाकिस्तान से गैस की सप्लाई ले रहा था। वो भी रूसी कंपनियों को रूबल देने के बाद, डॉलर नहीं। भारत और पाकिस्तान की स्थिति अलग है। पाकिस्तान की गिनती उन देशों में होती है जो दूसरे देशों की भीख-जकात और इमदाद पर जिंदा है, उनकी अपनी कोई मर्जी नहीं होती। उनकी अपनी आजाद पॉलिसी नहीं होती, उनके विकल्प बहुत सीमित होते हैं।