अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जा करने के बाद पाकिस्तान की अकड़ बढ़ गई थी। पाकिस्तान इतने गुरुर में था कि उसने अमेरिका तक को नहीं छोड़ा। इमरान खान कई बार अमेरिका के खिलाफ बोल चुके थे जिसका खामियाजा उनको भुगतना पड़ा लिहाजा आतंकियों को पनाह देने और समर्थन देने के चक्कर में FATF ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में बरकरार रखा जिसके बाद देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है और अब एक बार फिर से पाकिस्तान अमेरिका से पंगा ले रहा है।
पाकिस्तान अमेरिका सैन्य हथियार खरीद रहा है लेकिन ये अमेरिका से नहीं बल्कि तालिबान से। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान द्वारा जब्त किए गए अमेरिकी हथियार दुकानों में अफगान बंदूक डीलरों द्वारा खुले तैर पर बेचा जा रहा है, जिन्होंने सरकारी तैनिकों और तालिबान सदस्यों को बंदूकें और गोला-बारूद के लिए भुगतान किया था। अमेरिकी प्रशिक्षण और सहायता कार्यक्रम के तहत, उपकरण मूल रूप से अफगान सुरक्षा बलों को दो दिए गए थे। अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, तालिबान ने बड़ी संख्या में हथियार जमा किए और खुलेआम दुकानों में बंदूकें बेच दीं।
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पाकिस्तान द्वारा हथियारों की खरीद को लेकर भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों ने चिंता जताई है। अधिकारियों का मानना है कि हथियारों का इस्तेमाल सबसे पहले पाकिस्तान में हिंसा के लिए आईएसआई-नस्ल के आतंकवादी समूहों द्वारा भारत में अपना रास्ता बनाने से पहले किया जाएगा। इसके साथ ही अधिकारियों ने भारत में सक्रिय आतंकी समहूों को भी हथियार मुहैया कराए जाने को लेकर चिंता जताई है।