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Pakistan में इंसाफ नहीं दे सकते तो मुझे इंडिया भेज दो, पाकिस्तानी महिला की दलील से लाहौर हाईकोर्ट में सन्नाटा

कोर्ट में पाकिस्तानी महिला ने कहा, 'न्याय नहीं दे पा रहे तो भारत भेज दो'

पाकिस्तान भले ही आज मुसलमानों के हित में बात करता है लेकिन, असल में बात कुछ और ही है। अगर मुसलमानों का हाल देखना है तो वो बलुचिस्तान चले जाए, पीओके चले जाए ग्वादर चले जाए। इन लोगों की जिंदगी पाकिस्तान ने नर्क से भी बद्दतर बना रखी है। अपनी जनती की मूल अधिकरों को तो वो दे नहीं पा रहा है बात वो भारत के मुसलमानों का करता है और यहां भी कुछ कट्टरपंथी ऐसे हैं जो खाते यहां का हैं और गाते वहां का हैं। ऐसी ही कट्टरपंथियों के मुंह पर तमाचा मारा है एक पाकिस्तानी महिला ने। इस महिला ने लाहौर के भरे हाई कोर्ट में कहा है कि, अगर न्याय नहीं दिला सकते तो मुझे भारत भेज दो। यह पाकिस्तान के लिए बेहद ही शर्म की बात है कि, वो अपने नागरिकों को न्याय तक नहीं दिला पा रहा है। दुनिया के सामने एक बार फिर से पाकिस्तानी की बेइज्जती हुई है।

महिला पाकिस्तान की न्यया प्रक्रिया से इतना तंग आ चुकी है कि वो हाईकोर्ट के जज से सीधे कह दिया कि, न्याय नहीं दे सकते तो भारत भेज दें। पांच मरला 5 बीघा) की संपत्ति को लेकर तीन दशकों से अधिक समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई से तंग आकर एक महिला ने मंगलवार को लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति मुहम्मद अमीर भट्टी से कहा कि न्याय नहीं दे सकते तो आप 'मुझे भारत भेज दो।' सैयदा शहनाज नाम की महिला ने मूल रूप से बहावलपुर से कोर्ट की प्रिंसिपल सीट पर अपना केस ट्रांसफर करने के लिए अर्जी दाखिल की थी। शेखूपुरा में एक किराए के घर में रहने वाली आवेदक ने कहा कि अगर वह मामले को आगे बढ़ाने के लिए बहावलपुर गई तो उसकी संपत्ति के अवैध कब्जेदारों के हाथों उसकी जान को खतरा होगा।

महिला ने कहा कि, जब जमीन के टुकड़े पर मुकदमा शुरु हुआ तो वह नौ साल की थी और अब वह 45 साल की हो गई है। उसने आरोप लगाया कि क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों ने उसके घर पर कब्जा कर लिया था और वह पिछले 35 सालों से अपने अधिकारों के लिए एक के बाद दर-दर भटक रही है। मुकदमों की अंतहीन फेहरिस्त से निराश होकर महिला ने मुख्य न्यायाधीश से उसे भारत भेजने के लिए कहा। महिला ने कहा कि, मुझे भारतीय अदालतों से न्याय मिल सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने तबादला आवेदन पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।