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गोता लगाती पाकिस्तानी करेंसी,लोगों में हाहाकार ,नज़रअंदाज़ करता IMF

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़

बदलती वैश्विक भू-राजनीतिक व्यवस्था के बीच सऊदी अरब से पाकिस्तान को मिलने वाली सहायता कम होती जा रही है। पश्चिम एशियाई राष्ट्र अब इस्लामाबाद को “ब्लैंक चेक” सहायता की पेशकश पर रोक लगाकर अपना रुख़ बदल रहा है।

नक़दी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को हाल ही में चीन से वित्तीय सहायता प्राप्त होने के बावजूद सऊदी अरब द्वारा मदद की पेशकश करने की अनिच्छा से उसके नीति निर्माताओं के बीच चिंताएं बढ़ रही हैं। अगले तीन वर्षों में पाकिस्तान का बाहरी ऋण देनदारी बढ़कर 73 अरब डॉलर हो गया है, जबकि देश में विदेशी मुद्रा भंडार 5 अरब डॉलर से भी कम रह गया है।

गहराते आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तानी रुपया आज अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले गिरकर 288 पर आ गया, जो कि एक नया रिकार्ड निचला स्तर है।

पाकिस्तान के स्थानीय समाचार संगठन समा ने कहा कि सऊदी के रवैये में बदलाव का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव इसलिए पड़ सकता है, क्योंकि देश अपनी अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए विदेशी सहायता और ऋण पर बहुत अधिक निर्भर रहा है। कहा गया, “सऊदी अरब के नेतृत्व का अधिक मुखर रुख़ अपनाने के साथ ऐसा प्रतीत होता है कि ब्लैंक चेक के दिन ख़त्म हो गए हैं।”

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बाद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी पाकिस्तान को तब तक उधार देने को तैयार नहीं हैं, जब तक कि वह सब्सिडी को ख़त्म करने और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के निजीकरण सहित बुनियादी संरचनात्मक सुधार नहीं करता।

मार्च में देश की मुद्रास्फीति 35.37 प्रतिशत तक बढ़ गयी थी, जिससे इसके केंद्रीय बैंक- स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान को ब्याज़ दरों में 100 आधार अंकों की वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया गया था,यह एक ही झटके में लागू होने वाली उच्चतम मात्रा थी।

वित्तीय सहायता पैकेज की बहाली को लेकर आईएमएफ के साथ चल रही बातचीत के बीच अब सभी की निगाहें पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक़ डार पर टिकी हैं, जो अगले सप्ताह अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं।

देश के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने पहले ही स्वीकार किया था कि जिन देशों के साथ इस्लामाबाद ने पारंपरिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं, वे भी आगे का ऋण देने को लेकर सावधान हो गए हैं।

शरीफ़ ने पिछले साल वकीलों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, “आज, जब हम किसी मित्र देश में जाते हैं या फ़ोन करते हैं, तो वे सोचते हैं कि हम (उनके पास) भीख मांगने आए हैं।”

सऊदी अरब के इस फ़ैसले से पाकिस्तान के अलावा मिस्र, जॉर्डन और लेबनान समेत अन्य देश भी प्रभावित होंगे।