पीएम मोदी के यूरोप दौरे से आज चीन और पाकिस्तान दोनों की छाती पर सांप लोट रहा होगा। चीन यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दादागिरी दिखाने की कोशिश कर रहा है। पीएम मोदी और ओलफ शोल्ज ने कहा है कि विस्तारवाद के खिलाफ दोनों देश एकजुट हैं, किसी भी ताकत को हिंद प्रशांत का दारोगा नहीं बनने दिया जाएगा।
इस बयान से चीन जलभुन कर राख हो गया होगा तो वहीं पाकिस्तान पर दोनों नेताओं ने कहा कि आतंकवादियों का छद्म इस्तेमाल और सीमा-पार से आतंकवाद भी शामिल हैं। पाकिस्तान को सख्त संदेश देते हुए दोनों ही नेताओं ने सभी देशों से आतंकवादियों के पनाहगाहों और बुनियादी ढांचे को खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्क को बाधित करने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार वित्तपोषण को अवरूद्ध करने का आह्वान किया। पीएम मोदी और जर्मन चांसलर शोल्ज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1267 प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित गिरोहों सहित सभी आतंकवादी गिरोहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।
भारत और जर्मनी के संयुक्त बयान में साफ तौर कहा है कि दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी बनाए जाने पर बल देते हैं। साथ ही दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान को इसका केंद्र मानते हैं। इस बयान में जर्मनी की ओर से रूस के यूक्रेन पर हमले की कड़ी आलोचना की है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत और रूस के संयुक्त बयान में यूक्रेन युद्ध की आलोचना रूस को बड़ा संकेत है। यही नहीं पीएम मोदी इस महीने होने जा रहे G-7 की विशेष बैठक में भी शामिल होने जा रहे हैं जिसे जर्मनी ने खासतौर से रूस को घेरने के लिए आयोजित किया है।
भारत और जर्मनी के संयुक्त बयान में दुनिया में संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के महत्व को रेखांकित किया गया है। दोनों देशों ने सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए कहा। भारत और जर्मनी ने हिंद- प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी बनाए जाने पर बल दिया। आसियान की केंद्रीयता को मान्यता दी गई। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बेरोक-टोक व्यापार और नौवहन की स्वतंत्रता के महत्व पर भी जोर दिया गया।