प्रधानमंत्री मोदी के शंघाई सहयोग संगठन में सीमा पार आतंकवाद का मामला छेड़ने पर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ तिलमिला गए। शहबाज शरीफ ने एससीओ के मंच से नाम लिए बगैर भारतीय मुसलमान के अधिकारों और कश्मीर का राग अलापा। हालांकि इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वहां मौजूद थे।
शंघाई सहयोग संगठन देशों की वर्चुअल शिखर बैठक चल रही थी। इस वर्चुअल मीटिंग में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा पार आतंक को लेकर पाकिस्तान को घेरा। जिससे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहवाज शरीफ तिलमिला गए। पीएम मोदी के घेरने से बौखलाए शहवाज शरीफ ने भारत का नाम लिए बगैर कहा कि भारतीय मुस्लिमों घरेलू राजनीति का शिकार नहीं बनाना चाहिए। शहवाज शरीफ को पीएम मोदी बातों का इतना बुरा लगा की उन्होंने मुस्लिमों का नाम लिए बिना कहा कि घरेलू राजनीतिक अजेंडे का अनुसरण करते हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों को गलत बताते हुए उन्हें धमकाना नहीं चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ने को लेकर प्रतिबद्ध है, लेकिन इस बात का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
शहबाज शरीब को पीएम मोदी की बात की इतनी मिर्ची लगी कि वो यहीं नहीं रुके,उन्होंने कहा ’आतंकवाद के सभी तरीकों में राज्य प्रायोजित आतंकवाद शामिल है, जिसकी निश्चित रूप से निंदा की जानी चाहिए। शहबाज शरीफ ने कहा कि हत्या को किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है।’ पाकिस्तान के पीएम शहवाज शरीफ ने कश्मीरियों का नाम लिए बिना ही कश्मीरी के आत्मनिर्णय का अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर ज्ञान उढेल दिया।
शहबाज शरीफ ने कश्मीर का नाम लिए बगैर ही कहा, ‘जो लोग कब्जे में हैं, उन्हें भी मूलभूत अधिकार और स्वतंत्रता की गारंटी मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्षेत्र के लंबे समय से चले आ रहे विवादों पर हमें हल मुहैया कराता है, इसका तत्काल समाधान किया जाना चाहिए।शहबाज शरीफ ने भारत का नाम लिए बिना ही कहा कि धार्मिक आधार पर जानबूझकर घृणा को नहीं भड़काया जाना चाहिए।
हालांकि पाकिस्तानी पीएम से पहले भारत के प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर शहबाज शरीब औऱ चीन के राष्ट्रपति दोनों को जमकर लतारा।पीएम मोदी ने कहा था कि कुछ ऐसे देश हैं जो सीमा का इस्तेमाल आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देने के लिए करते हैं। लिहाजा शंघाई सहयोग संगठन देशों को इसकी निंदा करनी चाहिए। इसके लिए कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।