Hindi News

indianarrative

PM Modi ने Taliban को मान्यता दिलाने की Pak-China की कॉन्सपिरेसी को कैसे फेल किया- देखें स्पेशल रिपोर्ट

पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन-पाक की साजिशों को किया नाकाम

एससीओ और सार्क के बाद अब यूएनजीए में तालिबान को प्रतिनिधित्व दिलाने की पाकिस्तान औऱ चीनो की साजिशों को इंडिया ने धराशाई कर दिया है। भारत के आगे चारों खाने चित चीन-पाक के नेता खीझ निकालने में लगे हुए हैं। भारत ने दुनिया के सामने तर्क रखा है कि मौजूदा परिस्थितयों में तालिबान को मान्यता दी गई तो दुनिया भर में सक्रिए आतंकवादी गुटों को बल मिलेगा और वो बम-बंदूक के बल पर लोकतांत्रिक सरकारों पर कब्जा करने लगेंगे और तालिबान की तरह ही मान्यता मांगेंगे। धीरे-धीरे भारत का तर्क दुनिया को समझ में आने लगा है। संभवतः इसी कारण से कोई भी ऐसा एक देश तालिबान को मान्यता देने के लिए आगे नहीं आया है।

अमेरिका और यूरोप के देशों को यह बात भी समझ में आने लगी है कि पाकिस्तान और चीन तालिबान को मान्यता दिलाने के लिए इतनी ज्यादा कोशिशें क्यों कर रहे हैं। जबकि इन दोनों ने खुद तालिबान को मान्यता नहीं दी है। ऐसा भी बताया जाता है चीन तालिबान को मान्यता दिलाए जाने के मुद्दे पर पाकिस्तान के कंधे पर रख कर बंदूक चला रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि अफगानिस्तान में तालिबान को लेकर सबसे ज्यादा प्रोपेगंडा पाकिस्तान की मीडिया और चीन से प्रभावित मीडिया ने ही किया है।

चीन अपनी विभिन्न न्यूज एजेंसियों-चैनलों और सोशल मीडिया के माध्यम से तालिबान को मॉडरेट साबित करने में लगा था। यह भी प्रोपेगंडा किया जा रहा था कि तालिबान राज में अफगानिस्तान में महिला और मानवाधिकारों का शोषण नहीं होगा। इनक्लूसिव सरकार का गठन होगा। अफगानिस्तान के सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व होगा। लेकिन अभी तक तालिबान सरकार अपने एक भी वादे पर खरा नहीं उतरा है।

हद तो यह हो गई है कि अमेरिका के साथ शांति समझौता करने वाले मुल्ला बरादार जैसे नेताओं को हिरासत में रखे जाने की खबरें मिल रही हैं। तालिबान ने लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए हैं। लड़कियों की शिक्षा शरियत के खिलाफ घोषित कर दिया है। महिला कल्याण मंत्रालय खत्म कर दिया गया है। इसके बावजूद चीनी मीडिया और चीन प्रभावित मीडिया के साथ ही पाकिस्तान शोर मचा रहे हैं कि तालिबान मॉडरेट हो गए हैं। इनको मान्यता दो, इनके साथ काम करो।  

दरअसल, इस समय अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में जो लोग बैठे हैं वो पाकिस्तान की आईएसआई के ही अपने लोग हैं। आईएसआई इन लोगों को पिछले 20 साल से दुनिया की आंखों मे धूल झोंक कर इन लोगों को पाल रही थी। पाकिस्तानी आर्मी ने इन्हें अपने सेफ हाउसेज में शरण दे रखी थी। इस बात को अब पाकिस्तान की मीडिया के दिग्गज जर्नलिस्ट फक्र से बयान करते हैं। जानकार लोग कहते हैं कि अफगान तालिबान पाकिस्तान के प्रॉक्सी हैं। चीन के भारी कर्ज में दबा पाकिस्तान वो सब कुछ करने की कोशिश रहा है जो बीजिंग निर्देश दे रहा है।

अफगानिस्तान में पाकिस्तान और चीन की असलियत से दुनिया के देश दो-चार हो रहे हैं। दुनिया के सामने ये असलियत लाने के लिए भारत को कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। खासतौर पर ईरान और रूस की अफगान नीति में आधारभूत बदलाव लाने के लिए तो भारत को बेइंताह मेहनत करनी पड़ी। रूस और ईरान की समझ में आ भी गया है कि तालिबान को मान्यता देना उनके लिए घातक हो सकता है। यूरोपियन देश भी अब इस सच्चाई से वाकिफ हो चुके हैं।