पूर्वी यूक्रेन पर जीत के दावे के साथ ही पुतिन ने अपनी सेना को हंट-टू-किल मिशन के लिए हरी झण्डी दे दी है। इस मिशन का मकसद यूक्रेन के बड़े अफसरों मंत्रियों और बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं। यह माना जा रहा है कि पुतिन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी की हत्या के आदेश भी दे दिए हैं। हंट टू किल मिशन में रूसी सेना के एलीट कमांडो शामिल हैं। ये कमाण्डोज शहरी लड़ाई, एम्बुश लगाने, केमिकल और बॉयोलॉजिकल वॉरफेयर में माहिर हैं।
यूक्रेन ने खुफिया एजेंसियों से मिली इस जानकारी के बाद जेलेंसकी और उनके परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कुछ लोगों का कहना है कि उनका परिवार पोलैण्ड के अमेरिकी दूतावास में सुरक्षित है, जबकि जेलेंसकी अभी कीव में ही हैं। इसलिए कीव और आसपास के प्रमुख शहरों मे सुरक्षा को बढ़ा दिया है। शहर में आने-जाने वाले लोगों की सघन तलाशी की जा रही है। संदिग्ध लोगों की कड़ी निगरानी की जा रही है।
यूक्रेन के एक पूर्वी शहर में रविवार को रूस और यूक्रेन के सैनिकों के बीच आमने-सामने की लड़ाई हुई। इस दौरान भारी बमबारी के साथ मॉस्को के सैनिकों ने क्षेत्र में रणनीतिक महत्व के स्थानों पर कब्जा करने का प्रयास किया है। यूक्रेन के क्षेत्रीय अधिकारियों ने कहा कि रूस की सेना ने पूर्व में स्थित सिविरोदोनेत्स्क शहर पर धावा बोला जहां लड़ाई के कारण बिजली और मोबाइल सेवा बंद कर दी गई है।
सिविरोदोनेत्स्क एक औद्योगिक उत्पादन केंद्र है। रूसी फौज ने लिसिचांस्क पर कब्जा करने का प्रयास भी तेज कर दिया है। रूस इन दोनों शहरों के उन क्षेत्रों पर कब्जा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो मॉस्को समर्थित अलगाववादियों के नियंत्रण में नहीं हैं।
ध्यान रहे, पूर्वी यूक्रेन पर रूसी सेना कब्जा कर चुकी है। 2-4 फीसदी जो इलाका बचा हुआ है, उस पर कब्जे का प्रयास चल रहा है। रूसी कब्जे की पुष्टि नाटो देशों की मीडिया भी कर चुका है। इन खबरों से परेशान जेलेंसकी का ध्यान अब निजी सुरक्षा पर ज्यादा आ गया है। वो निरंतर जगह बदल रहे हैं। उनके कमाण्डोज को भी आखिरी क्षणों में अगली जगह का ब्योरा दिया जाता है। जेलेंसकी के खेमे में अविश्वास का स्तर इतना बढ़ गया है कि कमाण्डोज भी एक दूसरे पर पूरा भरोसा नहीं करते हैं। राष्ट्रपति जेलेंसकी की सुरक्षा में कोताही करता दिखाई दे तो उसे गोली मार दी जाए। जब से रूसी फौज के हंट-टू-किल मिशन की खबरें आई हैं तब से जेलेंसकी की फौज में अफरा-तफरी मची हुई है। क्यों कि यूक्रेन की फौज में यूक्रेन के अलावा कई देशों से भाड़े के सैनिक भी शामिल हैं।