Russia Nuclear Force Exercise: दुनिया का सबसे पॉवरफुल देश अमेरिका और उसके साथ सारे नाटो देश मिलकर रूस को तोड़ने के लिए यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। लेकिन, इसके बाद भी वो रूस को तोड़ पाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। रूस अकेला इन सारे पश्चिमी देशों को पर भारी पड़ा हुआ है। कई रिपोर्टें आ चुकी हैं कि, यूक्रेन के चक्कर में फंसे यूरोप के हथियार अब खत्म हो रहे हैं। यूक्रेन को हथियार देते-देते यूरोपीय देशों के अपने शस्त्रागार खाली हो गया है। इस जंग को लेकर रूस लगातार कहता रहा है कि, पश्चिमी देश इससे दूर रहे लेकिन, वो नहीं माने। रूस का कहना है कि, अगर पश्चिमी देश यूक्रेन की मदद करना बंद नहीं किये तो वो अपनी रक्षा के लिए परमाणु हमला (Russia Nuclear Force Exercise) भी कर सकता है। इस बीच अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के सामरिक परमाणु बल (Russia Nuclear Force Exercise) का अभ्यास देखा। इसमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के प्रक्षेपण भी शामिल थे।
यह भी पढ़ें- भारी पड़ेगा Zelensky का ये कदम, रूस बोला- डर्टी बम का खामियाजा पूरा Ukraine भुगतेगा
रूस ने किया परमाणु हमला करने का अभ्यास
रूस के रक्षा मंत्री सेरगेई शोईगु ने पुतिन को बताया कि रूस पर परमाणु हमला होने की स्थिति में दुश्मनों पर बड़े पैमाने पर परमाणु हमला करने का अभ्यास किया गया। इस युद्धाभ्यास में रूसी न्यूक्लियर फोर्सेज की तीनों यूनिट्स ने हिस्सा लिया। इसमें जल-थल और नभ से परमाणु हमला करने का भी अभ्यास किया गया। रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा एक्टिव परमाणु बम हैं।
यह भी पढ़ें- रूस के भीषण हमले से थर्राया Ukraine, बिजली पानी सब बंद- अंधेरे में जेलेंस्की
लगा सटीक निशाना
यह युद्धाभ्यास यूक्रेन में रूसी कार्रवाई को लेकर पश्चिमी देशों के साथ भीषण तनाव के बीच हुआ है। क्रेमलिन ने एक बयान में कहा कि अभ्यास के लिए तय सभी लक्ष्य प्राप्त कर लिए गए और दागी गई सभी मिसाइलें निशाने पर लगीं। रूस के इस अभ्यास के बाद अमेरिका बौखला उठा है जिसके बाद उसने कहा है कि, रूस ने इस अभ्यास के संबंध में उसे पहले से सूचित कर दिया था। ऐसी जानकारी दोनों देशों के बीच किसी गलतफहमी को रोकने के लिए दी जाती हैं। दरअसल, अमेरिका और रूस दोनों के पास बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर सैटेलाइट्स हैं। जो धरती के किसी भी हिस्से में लॉन्च की गई मिसाइलों को ट्रैक कर सकते हैं। अगर रूस बिना जानकारी दिए परमाणु मिसाइल के साथ अभ्यास करता तो इससे हमले की गलतफहमी पैदा हो सकती थी। ऐसे में अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई करता जो दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम लेकर आते।