भारत (PM Modi) और रूस पिछले करीब सात दशकों से साथी हैं। यूक्रेन की जंग जैसी कई घटनाएं हुईं जिसने दोनों देशों की दोस्ती को परखा लेकिन यह दोस्ताना बरकरार रहा। इसी दोस्ती की मिसाल है कि रूस अपना एक और वादा निभाएगा। रूस की तरफ से कहा गया है कि भारत (PM Modi) को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और इससे जुड़े उपकरणों की डिलीवरी तय शेड्यूल पर ही होगी। रूसी रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का दावा है कि युक्रेन युद्ध की वजह से भारत को एंटी-एयक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम एस-400 की आपूर्ति में देरी नहीं होगी। रूसी रक्षा निर्यात से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रूस 2018 में भारत के साथ किए गए 540 करोड़ डॉलर के सौदे के तहत तय समय सीमा के मुताबिक 2024 के आखिर तक दो एस-400 प्रणाली उपलब्ध करा देगा।
तय समय पर होगी S-400 सिस्टम की डिलीवरी
भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है और अभी भी पारंपरिक हथियारों के लिए ज्यादातर रूसी तकनीक का ही प्रयोग कर रहा है। इंटरफैक्स ने मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन के मुखिया दिमित्री शुगाएव के हवाले से बताया है कि एस-400 ट्रायम्फ एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम का प्रोडक्शन तय शेड्यूल पर ही चल रहा है। सशस्त्र बलों के एक कार्यक्रम के दौरान टिप्पणियों में उन्होंने कहा, ‘एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम के उपकरणों की डिलीवरी सहमत समय सीमा के अंदर पूरी होने की उम्मीद है।’
साल 2018 में हुई थी डील
भारत ने साल 2018 में 5.4 बिलियन डॉलर में S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम यूनिट्स की डील की थी। भारत को अब तक तीन सिस्टम मिल चुके हैं जबकि दो का इंतजार किया जा रहा है। इंटरफैक्स की तरफ से बताया गया है कि डिलीवरी साल 2024 के अंत तक पूरी हो जाएगी। भारतीय वायु सेना की तरफ से इस साल ने मार्च में कहा गया था कि यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस से महत्वपूर्ण रक्षा आपूर्ति में देरी हो रही है।
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भारत को रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तीसरी स्क्वाड्रन मिली थी। इस यूनिट को पंजाब और राजस्थान में पाकिस्तान से लगी सीमा पर तैनात किया गया था। अब नई स्क्वाड्रन को चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात किया जा सकता है। भारत को चीन और पाकिस्तान के रूप में दो मोर्चों पर दो दुश्मनों से निपटना है। ऐसे में S-400 की तय समय पर होने वाली डिलीवरी चीन-पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती होगी।
सबसे ज्यादा योगदान रूस का
भारत, हाल के वर्षों में आयात में विविधता लाने या फिर उन्हें घरेलू निर्मित हार्डवेयर से बदलने की तरफ लगा हुआ है। भारत ने फ्रेंच फाइटर जेट राफेल के अलावा इजरायल से ड्रोन और अमेरिकी जेट इंजन की डील की है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के आंकड़ों के अनुसार साल 2017 से भारत ने 18.3 अरब डॉलर की रकम हथियारों के आयात पर खर्च की है। इसमें से रूस का योगदान अभी भी 8.5 अरब डॉलर का है।