रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं। रूस ने दोनों देशों की सीमा पर लगभग एक लाख से ज्यादा सैनिकों की आधुनिक हथियारों, तोपों और टैंकों से साथ तैनाती कर रखी है। वहीं, रूस को लगातार अमेरिका चेतावनी दे रहा है कि वह अगर यूक्रेन पर हमला करता है तो वह उसके ऊपर कई तरह का प्रतिबंध लगा देगा जिसकी वजह से रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ेगा। अब अमेरिका ने कुछ ऐसा कह दिया है कि उसके जवाब में रूस ने कहा है कि युद्ध न होने की बहुत कम उम्मीद बची है। यानी की रूस ने साफ कर दिया है कि वह युक्रेन को हर हाल में लेकर रहेगा।
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रूस ने बृहस्पतिवार को कहा कि यूक्रेन संकट को हल करने के लिए रूस की मुख्य मांगों पर अमेरिका के इनकार से आशावाद के लिए बहुत कम गुंजाइश बचती है। साथ ही यह भी कहा कि, बातचीत अभी भी मुमकिन है। रूस लगातार इस बात से इनकार कर रहा है कि वह हमले की योजना बना रहा है,लेकिन अमेरिका और उसके नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध (Russia War) की ओर बढ़ रहा है और इसके लिए तैयारी कर रहा है।
रूस ने कई मांगें रखी हैं, जिसके बारे मे उसका कहना है कि इससे यूरोप में सुरक्षा की स्थिति में सुधार होगा। जैसा कि अमेक्षित था, अमेरिका और पश्चिमी गठबंधन ने बुधवार को मास्को के मुख्य बिंदुओं पर किसी भी तरह की रियायत को दृढॉता से खारिज कर दिया। अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से स्थायी रूप से प्रतिबंधित करने से इनकार कर दिया और कहा कि पूर्वी यूरोप में सैनिकों और सैन्य उपकरणों की संबंद्ध तैनाती के मुद्धे पर कोई वार्ता नहीं होगी। हालांकि, तनाव घटाने के मकसद से अमेरिका ने उन क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार की है, जहां रूस की कुछ चिंताओं का समाधान किया जा सकता है।
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अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने एक बयान में कहा कि, रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है, ना कोई बदलाव होगा। उन्होंने फिर से आगाह किया कि यूक्रेन में रूस के किसी भी घुसपैठ के बड़े परिणाम होंगे और उसे गंभीर आर्थिक नुकसान झेलना होगा। क्रेमलिन (रूस के राष्ट्रपति कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका की प्रतिक्रिया और नाटो से इसी तरह की प्रतिक्रिया के बाद आशावाद के लिए बहुत कम गुंजाइश बचती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, बातचीत जारी रखने की संभावनाएं बरकरार हैं, यह हमारे और अमेरिकियों, दोनों के हित में है। वहीं, रूस की मांगें हैं कि, नाटो का विस्तार रोक दिया जाए और क्षेत्र से उसके ऐसे हथियारों को हटा दिया जाए जिससे खतरा है।