अगर यूक्रेन नाटो की रट नहीं लगाया होता तो आज उसकी ये हालत नहीं होती और ना ही दुनिया में इतनी भारी महंगाई देखने को मिलती है। रूस लगातार यूक्रेन से कहता रहा कि वो नाटो में शामिल होता है तो मिन्स्क समझौते का उल्लंघन होगा। लेकिन, यूक्रेन अपने वादे से मुकरता हुआ अकड़ में था कि वो नाटो में हर हाल में शामिल होगा। इस युद्ध के पीछे सबसे बड़ा कारण यही रहा और दूसरा कारण दोनबास रहा। जहां पर यूक्रेन ने कम से कम 14 हजार से भी ज्यादा दोनबास में लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। अब जब जंग शुरू हो गई तो यूक्रेन दुनिया के सामने घड़ियाली आंशू बहा रहा है। दुनिया के देशों से हमदर्दी जुटा रहा है और रूस को कसूरवार बता रहा है। जबकि अपना असली चेहर छुपा रहा है। इस वक्त आलम यह है कि, यूक्रेन के कई शहर खंडहर में बदल गए हैं। लेकिन, जेलेंस्की को अब भी लगता है कि वो जंग जीत जाएंगे। रूस ने अपनी युद्ध रणनीति में बदलाव कर दिया है जिसके बाद से वो लगातार यूक्रेन के शहरों पर कब्जा करते जा रहा है। अब रूस ने यूक्रेन के एक और प्रमुख शहर पर हमला बोला है।
दोनबास क्षेत्र को बाद रूस लिसिचांस्क के साथ ही कई अन्य शहरों पर भी कब्जा कर चुका है। अब वो पूर्वी यूक्रेन के चासिवयार शहर में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां रूस ने हमला तेज कर दिया है। दोनास्क क्षेत्र के गवर्नर पावलो क्रिलेंको ने बताया कि करीब 12 हजार आबादी वाले शहर पर रूस ने ट्रक में लगे लांचर से हमला किया। चासिवयार शहर क्रामटोरस्क के दक्षिणपूर्व में 20 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे उत्तर की ओर बढ़ती रूसी फौजों का मुख्य निशाना माना जा रहा है।
बता दे कि, रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग में अपनी रणनूीति से सबको हैरान कर दिया है। रूसी सेना यूक्रेन में दिन के बजाय रात में बम बरसा रही है। यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक प्रांत लुहांस्क में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला है। वहां के गवर्नर का कहना है कि, रूसी सैनिकों का क्षेत्र पर हमला तेज हो गया है। यूक्रेन सरकार ने हमले से पहले दक्षिण में रूस के नियंत्रण वाले क्षेत्र के निवासियों से किसी भी हाल में इलाका छोड़ देने का आग्रह किया। लुहांस्क में अस्थायी तौर पर हमले रोके जाने की खबरें भी आईं थीं।
इसके साथ ही गेहूं, मक्का और सूरजमुखी तेल निर्यात के कारण यूरोप की ब्रेड बास्केट कहलाने वाले यूक्रेन में इन दिनों भारी संकट है और इसके पीछे खुद राष्ट्रपति व्लादोमीर जेलेंस्की का हाथ है। सिर्फ इतना ही नहीं, युद्ध के चलते यूक्रेन के भीतर 2.2 करोड़ टन अनाज फंसा है। इस जंग से पहले यूक्रेन हर माह 60-70 लाख टन अनाज निर्यात करता था, जो जून में केवल 22 लाख टन रहा। इसके निर्यात का 30 फीसदी यूरोप, 30 फीसदी उत्तरी अफ्रीका और 40 फीसदी एशिया जाता था। लेकिन, जेलेंस्की ने नाटो की रट लगाकर अपने मुल्क को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।