अमेरिका और नाटो लाख धमकियों और कोशिशों के बाद भी रूस को यूक्रेन पर हमला करने से नहीं रोक सके। एक महीने से ज्यादा हो गया और यूक्रेन इतने दिनों में पूरी तरह बर्बाद हो गया है लेकिन, अकड़ अब भी वैसे की वैसी ही है। यूक्रेन की ये गलतफहमी तो दूर हो गई जो "वो जंग से पहले अमेरिका और नाटो के दम पर घमंड में था कि, अगर रूस ने हमला किया तो उसके खिलाफ सिर्फ यूक्रेन सैनिक नहीं बल्कि नाटो और अमेरिकी सैनिक भी लड़ेंगे। लेकिन, जब जंग की शुरुआत हुई तो अमेरिका-नाटो मैदाम में उतरने से ही मना कर दिए"। अब यूक्रेन नई आस लिए बैठा है कि उसे नाटो में शामिल किया जाएगा। इसपर राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एक बयान दिया है जिसके बाद यह जंग और भी भीषण हो सकती है। क्योंकि, इस जंग की जड़ भी यही है।
जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल नहीं होने देना एक गलती है। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन नाटो के लिए फायदेमंद साबित होता। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, जेलेंस्की ने कहा कि नाटो के बारे में बात करना हमारे लिए मुश्किल है क्योंकि वो हमें स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। जेलेंस्की ने कहा कि मुझे लगता है कि यूक्रेन को शामिल नहीं करना नाटो गलती है, अगर हम शामिल होते तो संगठन को और अधिक मजबूत बनाते।
जेलेंस्की के बयान के बाद यूक्रेन को रूस के हमले का सामना और भी ज्यादे करनी पड़ सकती है। क्योंकि, इस हमले की वजह ही नाटो है। यूक्रेन नाटो में शामिल होने की रट लगाए हुए था और रूस लगातार मना कर रहा था, जिसके बाद अंत में यह कदम उठाना पड़ा। रूस ने बार-बार कहा है कि वह नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो। यूरोप को सोवियत संघ से बचाने के लिए शीत युद्ध की शुरुआत में नाटो नाम का एक संगठन बनाया गया। रूस के साथ एक महीने से अधिक से चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह संघर्ष विराम, रूसी सैनिकों की वापसी और सुरक्षा की गारंटी के बदले में नाटो सदस्यता नहीं लेने के लिए यूक्रेन से प्रतिबद्धता पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं।
जेलेंस्की ने कहा है कि, नाटो के बारे में बात करना हमारे लिए मुश्किल है क्योंकि, वो हमें स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, यूक्रेन को शामिल नहीं करना नाटो की गलती है, अगर हम शामिल होते हैं तो संगठन को और अधिक मजबूत बनाते।