हिंदुस्तान और रूस की दोस्ती किसी से भी छिपी नहीं है। जब भी भारत को जरूरत हुई तब रूस हमेशा सीना ताने सामने खड़ा था। यही वजह है की यही वजह है कि, यूक्रेन जेंग में जब पूरी दुनिया रूस के खिलाफ हो गई, पश्चिमी देशों के तमाम धमकियों के बाद भी भारत पुतिन का हाथ थामे हुए है। पुतिन (Putin) कई बार भारत के दोस्ती की तारीफ भी कर चुके हैं। वहीं एक समय तो रूस-यूक्रेन जंग के बीच पश्चिमी देशों ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी कि वह रूस से व्यापार न करे। हालांकि यह दबाव भारत पर बेअसर साबित हुआ और उसने हिंसा की आलोचना करते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा। अब अमेरिका (America) को यह बात काफी अच्छे से समझ आ गयी है कि भारत उसके आगे नहीं झुकेगा।
यूरोपीय और यूरेशियन मामलों के अमेरिकी असिस्टेंट सेक्रेटरी करेन डोनफ्राइड ने बुधवार को कहा कि अमेरिका (America) रूस से तेल खरीदने के लिए नई दिल्ली पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के संबंध सबसे अधिक अहम हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। भारत के साथ हमारा संबंध सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। भारत जितना चाहे उतना तेल रूस से खरीद सकता है। भारत लगातार हिंसा की निंदा कर रहा है और बातचीत के माध्यम से विवाद को हल करने पर जोर दे रहा है। अपने नागरिकों के हित के लिए भारत ने रूस के साथ व्यापार जारी रखने का कड़ा रुख अपनाया है।
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भारत-US का सुरक्षा एजेंडा बेहद खास
बीते साल जब पश्चिमी देशों ने भारत पर दवाब बनाने की कोशिश की, तब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोप में आलोचकों की बोलती बंद कर दी थी। अमेरिका के ऊर्जा संसाधन के असिस्टेंट सेक्रेटरी जेफ्री पायट ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले एक साल में वैश्विक ऊर्जा बाजारों को बाधित करने के लिए जो किया है उसे देखते हुए भारत और अमेरिका (America) जिस ऊर्जा सुरक्षा एजेंडे पर काम कर रहे हैं, वह बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि रूस ने अपने तेल और गैस को हथियार बनाकर यह दिखा दिया कि वह फिर से एक विश्वसनीय एनर्जी सप्लायर नहीं बन पाएगा। यह वैश्विक तेल और गैस की कीमतों में एक मामूली बढ़ोत्तरी का कारण बना, जो दुनियाभर में अभी भी जारी है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2022 में, भारत ने एक दिन में औसतन 1.2 मिलियन बैरल तेल खरीदा, जो नवंबर में खरीदे गए तेल से 29 फीसदी ज्यादा था। तेल के अलावा भारत रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है। रूस की तरफ से भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम का तीसरा रेजीमेंट जल्द मिलने वाला है।