Russia-Ukraine बीच चल रही जंग में रूसी राष्ट्रपति को वर्ल्ड मीडिया के एक बड़े गुट ने विलेन साबित कर दिया है। इस जंग में जो भी खबरें आ रही हैं वो कीव यानी उक्रेन की तरफ से आ रही हैं। रूस के बारे में जो भी खबरें दी जा रही हैं वो उसको हो रहे नुकसान और रूस पर लगाए जा रहे सेंक्शन की ही ज्यादा हैं। भारत के निजी खबरिया चैनलों को संयम बरतने की जरूरत होनी चाहिए। मगर भारत के निजी खबरिया चैनल पश्चिमी मीडिया से आ रही प्रोपेगंडा स्टोरीज का शिकार बन रहे हैं।
इंडिपेंडेंट मीडिया सोर्सेस के मुताबिक कीव पर कब्जे की राह में नेपियर नदी रूसी फौजों के लिए सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। अलबत्ता खबर यह है कि रूसी फौजें कीव के आंतरिक हिस्सों में पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। कीव के आउट स्कर्ट में भारी गोलीबारी हो रही है। कीव के भीतर रूसी एजेंट पहुंच चुके हैं। जिन्हें लोग रशियन मिलिशिया का नाम दे रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि जेलेंसकी की फौजों ने कीव में कर्फ्यू लगा दिया है और देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। रूस समर्थित मिलिशिया यूक्रेन के कर्फ्यू को तोड़कर किसी भी समय आमने-सामने आकर रशियन फोर्सेस को कीव के केंद्र में पहुंचने में मददकर करने वाले हैं।
रूस की सेना ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में एक गैस की पाइपलाइन उड़ा दी। वहीं जर्मनी और फ्रांस ने यूक्रेन की मदद का आश्वासन दिया है। रूस की सेना कीव से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर एक नदी के किनारे रुकी हुई थी लेकिन कहा जा रहा है भारतीय समय के अनुसार रूस की पैदल सेना नदी को पार कर कीव के भीतर घुसने की कोशिश कर रही हैं।
ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि यूक्रेन के खुफिया एजेंट खुद अपने रिहायशी इलाकों में बमबारीकर रूस को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यूक्रेन कह रहा है ये बमबारी रशियन फोर्सेस ने की है। हालांकि कीव से मिल रही खबरों के अनुसार रशियन फोर्सेस अब भी सिविलियन इलाकों में लगातार ऐलान कर रही हैं कि वो जंग का इलाका छोड़कर कहीं दूसरी जगह चले जाएं। इसी के साथ रूसी सेनाओं ने नेपरो नदी पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही हैं वहीं यूक्रेनी सेना ने नेपरो नदी पर मोर्चेबंदी कड़ी कर दी है। यहीं पर रूस को जबरदस्त मुकाबला मिल रहा है।
रूस के यूक्रेन पर हमले के बीच भारी संख्या में पलायन कर चुके हैं और लगातार कर रहे हैं। जो लोग यूक्रेन छोड़कर जा रहे हैं उन्हें रशियन फोर्सेस जाने दे रहे हैं जबकि यूक्रेन में आने वाले ट्रैफिक के लिए बॉर्डर सील हैं। यूक्रेन के ज्यादातर एयरफील्ड और एयरबेस रूसी हवाई हमलों में ध्वस्त किए जा चुके हैं। जो एयर स्ट्रिप सुरक्षित हैं उन पर रूसी फौजों का कब्जा है। इसलिए पश्चिमी और यूरोपीय देश यूक्रेन को सैन्य साजो-सामान पहुंचाने का ऐलान तो कर रहे हैं लेकिन बॉर्डर सील होने के कारण सारे ऐलान हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।
इन सब के बीच सवाल यह उठ रहा है कि कीव अभी तक सुरक्षित कैसे बचा हुआ है। इस बारे में रक्षा विशेषज्ञ और विश्लेषकों का कहना है कि रूस कीव में नर संहार के आरोप से बचना चाहता है। अन्यथा दूसरा कोई भी ऐसा कारण नहीं है जो उसे कीव पर कब्जे में इतनी देर लगा सके। कीव के भीतर जैसे ही रूस के एजेंट पर्याप्त संख्या में पहुंच जाएंगे वैसे ही अंदर से हमला होगा यूक्रेनी सेना का सुरक्षा घेरा और मनोबल दोनों टूटेंगे और कम से कम जनहानि के साथ कीव पर रूस का कब्जा हो जाएगा।