यूक्रेन और रूस जंग को लेकर दुनिया दो धड़ों में बंटी हुई है। कोई पुतिन के साथ है तो कोई अमेरिका और नाटो के बताए कदमों पर चल रहा है। अमेरिका और नाटो का कहना है कि जो कई भी रूस की मदद करेगा वो उसे बर्बाद कर देगा। इस बीच भारत को भी जमकर धमकियां मिली। रूस के खिलाफ कुछ न बोलने से लेकर यूएन में हुए उसके खिलाफ मतदान में भारत ने खुद को अलग कर लिया। इसके साथ ही रूसी तेल खरिदारी पर भी अमेरिका ने जमकर धमकियां दी लेकिन, भारत ने इसका ऐसा जवाब दिया कि, अमेरिका की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई। फिलहाल ये रंग रूकती नहीं दिख रही है। लेकिन, रूसी सेना इस वक्त दक्षिण यूक्रेन में पूर्ण कब्जे की फिराक में है।
रूस के एक वरष्ठि सैन्य अधिकारी ने कहा है कि देश की सेना दक्षिणी यूक्रेन और पूर्वी डोनबास क्षेत्र पर पूर्ण कब्जे की तैयारी कर रही है। बीबीसी ने रूस के मेजर जनरल रुस्तम मिनेकेयेव के हवाले से शनिवार को यह जानकारी दी। मेजर जनरल मिनेकेयेव ने कहा कि अगर रूस इसमें कामयाब हो जाता है तो देश क्रीमिया के लिए एक भूमि पुल तैयार कर सकेगा, जिस पर उसने 2014में कब्जा कर लिया था और मोल्दोवा में रूस-समर्थित ट्रांसन्ट्रिरिया क्षेत्र को प्रवेश मार्ग भी प्रदान किया था। रूसी भाषी ट्रांसन्ट्रिरिया पश्चिम से यूक्रेन की सीमा से लगा हुआ है। सोवियत संघ के पतन के बाद इसने स्वतंत्रता का दावा किया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे मान्यता नहीं मिली इसलिए यह आधिकारिक तौर पर मोल्दोवा का हिस्सा बना हुआ है। लगभग 1,500रूसी सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी वर्ष 1995से इस क्षेत्र में एक संघर्ष विराम समझौते के तहत तैनात की गई है।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मेजर जनरल मिनेकेयेव की टप्पिणियों को क्रेमलिन द्वारा आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी गई थी, लेकिन इंटरफैक्स और टास समाचार एजेंसियों सहित रूसी मीडिया में उनका व्यापक रूप से जिक्र किया गया है। इस बीच, यूरोपीय संघ के एक वरष्ठि अधिकारी ने कहा कि उनका मानना है कि रूस आने वाले दिनों में पूर्वी यूक्रेन और दक्षिणी तट पर अपने हमले तेज कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगले दो सप्ताह युद्ध के लिए नर्णिायक हो सकते हैं।