Russia captured Ukraine Cities: रूस को यूक्रेन पर हमला बोले 7 महीने से भी ज्यादा हो गया। इतने दिनों में रूस ने पूरे यूक्रेन को खंडर में तब्दील कर दिया है लेकिन, इसके बाद भी जेलेंस्की की अकड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। यूक्रेन को अमेरिका, नाटो पूरी तरह से मदद कर रहे हैं। चाहे हथियार हो, जेस्ट, मिसाइलें, गोला-बारूद, बंदूक यहां तक कि आर्थिक रूप से भी मदद की जा रही है। लेकिन, इसके बाद भी रूस का ये कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे हैं। रूस ने जब-जब युद्ध की रणनीति बदली है यूक्रेन को भारी संकट का सामना करना पड़ा है। कुछ ऐसा ही अब देखने को मिल रहा है। दरअसल, रूस जब खारकीव (Russia captured Ukraine Cities) से अपने सैनिकों को हटाने लगा तो यूक्रेन को लगा कि वो भाग रहे हैं, जिसके बाद वो खुशी मनाने लगे। लेकिन, ये खुसी बहुत जल्द ही मातम में बदल गई क्योकि, खारकीव से रूस का हटना एक चाल था। खारकीव से हटते ही रूस ने यूक्रेन (Russia captured Ukraine Cities) के एक दो नहीं बल्कि कई शहरों पर कब्जा कर लिया है।
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दरअसल, रूस अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में जनमत संग्रह शुरू कर दिया है। ये यूक्रेन के लिए मुश्किल का समय है क्योंकि, इससे ये सारे क्षेत्र रूस के कब्जे में चले जाएंगे। इसमें से लुहांस्क, जापोरिजिया, दोनेत्स्क और खेरसॉन क्षेत्र हैं जहां पर मतदान शुरू हो गया है। इन क्षेत्रों पर पूरी तरह से रूस का कब्जा है। जनमत संग्रह से यह निर्धारित होगा कि ये क्षेत्र रूस का अभिन्न हिस्सा बनेंगे या नहीं। रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के क्षेत्रों में 23 सितंबर से 26 सितंबर तक यानी पांच दिन मतदान चलेगा। अधिकारियों का कहना है कि, जनमत संग्रह के पहले चार दिन चुनाव अधिकारी लोगों के घरों पर मतपत्र लेकर जाएंगे और रिहायशी इमारतों के नजदीक हर अस्थायी मतदान स्थल बनाएंगे। यह निर्धारित करने के लिए मतदान हो रहा है कि लोग इन क्षेत्रों को रूस में शामिल किए जाने की इच्छा रखते हैं अथवा नहीं और माना जा रहा है कि परिणाम रूस के पक्ष में रहेंगे।
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बता दें कि, फरवरी में जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला है तभी से दुनिया का विकास प्रभावित हुआ है। जरूरी सामान के साथ ऊर्चा की कीमतें बढ़ी हैं। पुतिन के हालिया ऐलान के बाद तेल की कीमतों में भी 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। इससे रूस और यूरोपीय देशों में तनातनी बढ़ सकती है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) का कहना है कि दो देशों के बीच युद्ध एशिया के विकास पर भी असर पड़ रहा है। वहीं, पुतिन ने पश्चिमी देशों को कड़ी चेतावनी देने के साथ नागरिकों से जंग के लिए तैयार रहने को कहा था। इससे ये साफ है कि युद्ध अभी खत्म नहीं होने वाला। पुतिन का ये फैसला दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है।