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Ukraine हार गया! मारियूपोल में रूस सेंट्रल बैंक शुरू, Zelensky शंगरीला डायलॉग में करते रहे रूसी फौजों को खदेड़ने का दावा

रूस का मारियूपोल पर कब्जा!

3 महीने 22 दिन हो चुके हैं और यूक्रेन-रूस जंग खत्म नहीं हुई है। दो कारण नजर आते हैं पहला यह कि पश्चिमी देशों की रणनीति रुस को लम्बे युद्ध में उलझाकर कमजोर करना, दूसरा कारण पुतिन का जिद्दी स्वभाव और तीसरा कारण कॉमेडियन से राष्ट्रपति बने जेलेंसकी की अल्पबुद्धि। इसमें को कोई दो राय नहीं कि पश्चिमी देशों ने जेलेंसकी को मोहरा बनाया और जेलेंसकी मोहरा बन कर सब कुछ हार गए हैं। जिस देश में प्रजा की मारी जा रही हो, संपत्ति का विनाश हो रहा हो- ऐसे राज्य के राजा का क्या औचित्य? राजा का धर्म और कर्तव्य तो किसी भी स्थिति में अपनी प्रजा-संपत्ति और राज्य की सम्मानपूर्वक सुरक्षा करना है। जेलेंसकी निजी स्वार्थों के कारण सब कुछ गंवा चुके हैं। हर दिन सैकड़ों सैनिक मारे जा रहे हैं। करोड़ो-अरबों रुपयों की संपत्ति नष्ट हो रही है।

यह जानकारी भी किसी और के हवाले से नहीं बल्कि खुद जेलेंसकी ने ही दी है। हाल ही में बीबीसी को दी है। जेलेंसकी में दुनिया को गुदगुदाने-हंसाने और उनके अवसाद को खत्म करने की अप्रति प्रतिभा हो सकती है, लेकिन जिस अवसाद से जीवित यूक्रेनी गुजर रहे हैं उसे वो दूर कर सकते हैं। जेलेंसकी को अपनी जिद के आगे यूक्रेन का हित देखना चाहिए था। उन्हें कूटनीति से काम लेना चाहिए था। एक जंग का एक उदाहरण है कि एक सैनिक को शहीद कर अगर पूरी सेना सुरक्षित रखा जा सकता है को एक सैनिक की शहादत श्रेष्ठ है। क्योंकि सेना होगी तो दुश्मन पर वार करने का मौका भी रहेगा। जेलेंसकी धीरे-धीरे सब कुछ खोते जा रहे हैं। अब वो पश्चिम का विश्वास भी खो चुके हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि जेलेंसकी ने उनकी राय नहीं मानी। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी जेलेंसकी से नाराज हैं। ईयू भी जेलेंसकी को पूरी तरह पचा नहीं पा रहा है। कारण है कि जेलेंसकी को नाटो-ईयू-अमेरिका और ब्रिटेन ने सलाह दी थी कि रूस के खिलाफ गुरिला युद्ध छेड़ा जाए। युद्ध यूक्रेन की जमीन पर न हो कर रूस की जमीन पर हो। इसके लिए जेलेंसकी को कीव का मोह छोड़ना था। जेलेंसकी यूक्रेन के राष्ट्रपति रहते। उनकी सरकार रहती, लेकिन सत्ता कीव से नहीं बल्कि किसी अज्ञात स्थान से चलती, जहां रूस की पहुंच मुश्किल होती। जेलेंसकी को कीव छोड़ना मंजूर नहीं। कुछ लोग जेलेंसकी की इस जिद को देशभक्ति कह सकते हैं, लेकिन ऐसी भी क्या देश भक्ति जो देश को ही भस्म कर दे।

जेलेंसकी जानते थे कि वो किसी भी तरह रूस का सामना नहीं कर सकते। उन्हें विदेशी हथियार और सेना दोनों चाहिए। अमेरिका-यूरोप और पश्चिमी देशों की स्थिति भी सांप छछूंदर जैसी हो गई है। वो भी न तो जेलेंसकी को छोड़ पा रहे हैं और न प्रतिबंध लगा कर सीज फायर के लिए रूस को मजबूर कर पा रहे हैं।अमेरिका, ब्रिटेन, ईयू, और नाटो का ‘प्लान बी’फेल हो चुका है। अब ‘प्लान सी’ चल रहा है। यूक्रेन पर रूस की आंशिक विक्ट्री को कबूल कर किसी तरह जंग को रुकवाया जाए। ताकि पश्चिमी देशों और ईयू में आए मंहगाई के तूफान से होने वाले नुकसान को रोका जा सके।

इस जंग में रूस ने भी बहुत कुछ खोया है, कुछ हासिल भी किया है। अमेरिका-नाटो या ईयू किसी भी तरह तीसरे विश्वयुद्ध को आमंत्रित नहीं करना चाहते। जैसे ही कुछ हथियार और भाडे के सैनिक जेलेंसकी को मिल जाते हैं तो वो फिर शेर बन जाते हैं। रूस की सेना जैसे ही उन्हें खत्म कर देती है तो जेलेंसकी फिर रोने लगते हैं। हथियार मांगते हैं, आरोप लगाते हैं कि ईयू और नाटो रूस पर प्रतिबंध नहीं लगा रहे। जेलेंसकी ये आरोप लगाते समय भूल जाते हैं कि ये जंग यूक्रेन की है। नाटो या ईयू की नहीं।

अब जहां विदेशी मीडिया यूक्रेन के हिस्सों पर रूस के कब्जे की खबरें जारी करने लगा है तो वहीं यूक्रेन को विक्टिम की तरह दिखाने की कोशिश भी कर रहा है। तीन महीने 22 दिन से चली आ रही जंग का नतीजा क्यों नहीं निकल रहा? इसका कारण यह है कि एक ओर ईयू और नाटो हथियार और छद्म सेना यूक्रेन को किश्तों में दे रहे है तो वहीं प्रतिबंधों के बावजूद रूस से व्यापार भी कर रहे हैं। अकेले जेलेंसकी और यूक्रेन की फौज रूसी फौज के सामने तीन दिन से ज्यादा नहीं टिक सकती थी। इसलिए जंग को कुछ दिन आगे चलाने के लिए भाड़े के सैनिकों का सिलसिला जो शुरू हुआ वो अभी तक चल रहा है। जंग के शुरुआती दिनों में खबरें और तस्बीरें आई थीं कि जेलेंसकी अपने नागरिकों को हथियार फ्री में बांट रहे हैं ताकि वो रूसी फौजों से लड़ सकें। यूक्रेनी तो पलायन कर चुके हैं तो फिर यूक्रेनी सैनिकों की वर्दी में रूस से लोहा कौन ले रहा है? यह भाड़े की फौज है?  

रूस ने मारियूपोल पर कब्जा कर लिया और अपना सेंट्रल बैंक भी खोल दिया है। क्रीमिया को जमीनी रास्ते से रूस को जोड़ दिया है। इसके बावजूद जेलेंसकी शंगरीली डायलॉग में रूसी फौजो को वापस खदेड़ने के दावे कर रहे हैं। विदेशी हथियार और भाड़े के सैनिकों के सहारे जेलें.की यह ‘जंगी कॉमेडी शो’कब तक करते रहेंगे?