विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO Meet) के एक सम्मेलन में कहा कि कोविड-19 महामारी और यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न वैश्विक ऊर्जा और खाद्य संकट को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है। इसी सम्मेलन में पाकिस्तान को भी उन्होंने घेरा। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी इस सम्मेलन में भाग लिए। उनकी मौजूदगी में जयशंकर ने कहा कि, सभी तरह के आतंकवाद के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए। अपने संबोधन में जयशंकर ने एससीओ के आर्थिक भविष्य के लिए चाबहार बंदरगाह की क्षमताओं को भी रेखांकित किया। जहां भारत ने चाबहार बंदरगार के उपयोग पर जोर दिया तो वहीं, पाकिस्तान ने चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर ध्यान केंद्रित किया।
ताशकंद में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में एस जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष से व्यवधानों के कारण दुनिया एक ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रही है। तत्काल इसका समाधान करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि आतंकवाद के सभी प्रारूपों के प्रति शून्य सहनशीलता जरूरी है। वहीं, भारत हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़ने के लिए अफगानिस्तान के अलावा मध्य एशियाई देशों के लिए समावेशी कनेक्टिविटी लिंग 'चाबहार बंदरगाह' को ज्यादा महत्व दे रहा है। अगर ऐसा हुआ तो व्यापार के क्षेत्र में वृद्धि होगी। इसी बैठक में पाकिस्तान ने चीन का रट लगाते हुए CPEC में अफगानिस्तान के प्रवेश पर जोर दिया। जिसका भारत ने विरोध किया है क्योंकि, कोई भी सीपीईसी परियोजना देश की संप्रभुता का उल्लंघन करती है। उधर पाकिस्तान में चीन अपने बीआरआई प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है। जो Pok से होकर गुजरती है। भारत इसका कड़ा विरोध कर रहा है।
शुक्रावर को हुए इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि, अफगानिस्तान पर भारत की स्थिति को दोहराया और हमारे मानवीय सहायता- गेहूं, दवाएं, टीके और कपड़े पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने SCO में इरान की एंट्री पर स्वागत करते हुए कहा कि, एससीओ सदस्य चाबहार बंदरगाह का उपयोग कर सकते हैं।
स्टार्टअप्स और इनोवेशन की प्रासंगिकता पर जोर
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स और इनोवेशन की प्रासंगिकता पर बल देते हुए भारत में आर्थिक प्रगति की बात की। पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग एससीओ सदस्यों के सामान्य हित में है। समरकंद शिखर सम्मेलन की तैयारी में विदेश मंत्रियों की आज की बैठक बहुत उपयोगी रही। एससीओ से इतर किर्गिस्तान के विदेश मंत्री जीनबेक कुलुबेव के साथ अच्छी बातचीत रही। राजनीतिक, विकास सहयोग, शिक्षा, कनेक्टिविटी और फार्मा में हमारी द्विपक्षीय साझेदारी पर चर्चा की।
विदेश मंत्री ने कहा कि आज सुबह एससीओ सहयोगियों के साथ उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव से मुलाकात करते हुए खुशी हो रही है। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत अभिवादन से अवगत कराया। सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, व्यापार, संपर्क और संस्कृति के क्षेत्र में उज़्बेक प्रेसीडेंसी द्वारा विकास गति की सराहना की। वहीं, बेलारूस की एससीओ की पूर्ण सदस्यता के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। अज़रबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया और नेपाल को एससीओ में पर्यवेक्षक का दर्जा मिलेगा।