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China संग रिश्ते को लेकर इशारों में Putin ने क्या कह दिया- खास रिपोर्ट

China and Russia

China and Russia: चीन वो मुल्क है जो अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। जहां उसे फायदा दिखता है वहां वो हर एक जाल बिछाने की कोशिश करता है। उसके चक्कर में कई देश बर्बाद हो चुके हैं। दुनिया में चीन की कुछ देशों को छोड़कर लगभग हर देशों के साथ दुश्मनी है। खासकर पश्चिमी देशों और जिनके साथ वो सीमा साझा करता है उनसे उसकी अच्छी खासी दुश्मनी है। इसका वजह खुद चीन है। यूक्रेन हमले को लेकर चीन, रूस (China and Russia) के साथ रहा है। लेकिन, अब ऐसा लगता है कि, दोनों के बीच में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। दरअसल, उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध पर चीन की संतुलित स्थिति की तारीख की है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस आक्रमण पर चीन के अपने सवाल और चिंताएं थीं। ऐसे में चीन के साथ रूस की दोस्ती (China and Russia) पर सवाल उठने लगे थे। यूक्रेन पर हमले के कुछ ही दिनों पहले पुतिन फरवरी में शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान शी जिनपिंग के साथ नो लिमिट पार्टनरशिप का ऐलान किया था। ऐसे में यूक्रेन युद्ध को लेकर चीन की चिंताएं रूस के लिए बड़ी परेशानी बन सकती हैं।

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चीन को लेकर पुतिन का बयान
SCO शिखर सम्मेलन में पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के बाद पहली बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात की। पुतिन ने एससीओ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में कहा कि हम यूक्रेन संकट के संबंध में अपने चीनी मित्रों की संतुलित स्थिति की बहुत सराहना करते हैं। हम इस संबंध में आपके सवालों और चिंताओं को समझते हैं। आज की बैठक के दौरान, निश्चित रूप से, हम इस मुद्दे पर अपनी स्थिति के बारे में विस्तार से बताएंगे, हालांकि हमने इस बारे में पहले भी बात की है। पुतिन ने चीन और रूस के बीच गहरे आर्थिक संबंधों पर जोर दिया। रूस और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल 140 अरब डॉलर से अधिक था। ऐसे में उन्होंने जोर देकर कहा कि मुझे विश्वास है कि साल के अंत तक हम नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच जाएंगे, और निकट भविष्य में, जैसा कि सहमति हुई, हम अपने वार्षिक व्यापार कारोबार को 200 अरब डॉलर या उससे अधिक तक बढ़ाएंगे।

पुतिन के बयान पर जिनपिंग का जवाब
पुतिन के बयान पर जिनपिंग ने जवाब देते हुए कहा कि, चीन एक-दूसरे के मूल हितों से संबंधित मुद्दों पर मजबूत पारस्परिक समर्थन बढ़ाने के लिए रूस के साथ काम करेगा और परिवर्तन और अव्यवस्था की दुनिया में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा को इंजेक्ट करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही जिनपिंग ने एक-चीन सिद्धांत का पालन करने के लिए रूस की सराहना की और जोर देकर कहा कि ताइवान चीन का हिस्सा है। पश्चिम के साथ बढ़ते संघर्ष और एक मजबूत व्यक्तिगत बंधन से प्रेरित, हाल के वर्षों में दो सत्तावादी नेता घनिष्ठ साझेदार के रूप में उभरे हैं।

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यूक्रेन हमले के चलते रूस पर अमेरिका संग पश्चिमी देश टूट पड़े और एक से एक कड़े प्रतिबंधों की बौछार कर दी। लेकिन, इससे रूस को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। क्योंकि, चीन की ओर से रूस को सबसे ज्यादा आर्थिक मदद मिली। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में रूस की आलोचना करने के लिए चीन ने हर बार इनकार कर दिया। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बीच रूस और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में कई गुना की वृद्धि हुई है।